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Anuradha Singh

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"अनुराधा सिंह अनुराधा सिंह समकालीन हिन्दी कविता का सुपरिचित चेहरा हैं। 2018 में भारतीय ज्ञानपीठ से प्रकाशित कविता संग्रह ईश्वर नहीं नींद चाहिए को पिछले दशक के सर्वाधिक पठित व प्रशंसित संग्रहों में गिना जाता है, इसे शीला सिद्धान्तकर सम्मान (2019) और हेमन्त स्मृति सम्मान (2020) से सम्मानित किया गया है। आगरा में पली-बढ़ीं एवं मुम्बई व बेंगलुरु की निवासी अनुराधा एक समर्थ अनुवादक, सम्पादक व गद्यकार हैं। ल्हासा का लहू और बचा रहे स्पर्श इनकी उल्लेखनीय गय पुस्तकें हैं। फिलहाल ये मुम्बई में प्रबन्धन कक्षाओं में बिज़नेस कम्युनिकेशन का अध्यापन करती हैं। प्रस्तुत कविता संग्रह में वर्ष 2017 से 2022 तक की इनकी कविताएँ संकलित हैं। उत्सव का पुष्प नहीं हूँ लोगो जीवन ने अपने पाट पर पंछीट-पैंछीट उजलाया है वहीं वह नदी बहती थी सबकी जो मेरे देखने भर से रेत हो जाती थी अब, कुछ अच्छा आरम्भ होते ही अपशगुनों के ताप से मेरे एकान्त का तालू चटकता है बेचैन हो-होकर पूछती हूँ, एक बार और देख पढ़ लो शायद ऐसे भा जाने वाला कुछ भी न हो मेरे पास आदमी दो पाव बैंगन और भिण्डी भी दो क्षण विचार कर ख़रीदता है तुम्हें क्या हुआ है जो मुझसे साधारण मनुष्य पर आत्मा ख़र्चे दे रहे हो। (इसी संग्रह से) ईमेल : anuradhadei@yahoo.co.in"

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