
Lars Andersson
1 Books
"लार्श एण्डसन - लार्श एण्डसन (जन्म कार्ल्सकुगा, स्वीडन; 1954) का पहला उपन्यास तब छपा था, जब उनकी उम्र सिर्फ़ बीस वर्ष थी, और वे तब से ही अपनी पीढ़ी के सर्वाधिक प्रशंसित लेखकों में गिने जाते रहे हैं। उनके बारह अन्य उपन्यासों में से कुछ जर्मन, फ्रेंच, स्पैनिश व अन्य यूरोपीय भाषाओं में अनूदित हो चुके हैं। कुछ वर्ष उन्होंने उप्पसाला विश्वविद्यालय चिकित्साशास्त्र का अध्ययन करते हुए बिताये, लेकिन 1980 से पूर्णकालिक लेखन कार्य में जुट गये। वैसे तो उन्होंने विविध विधाओं में रचना की, परन्तु वे मुख्यतः उपन्यासकार के रूप में प्रख्यात हैं। स्वीडन के प्रतिष्ठित समाचार पत्रों तथा पत्रिकाओं में भी वे नियमित योगदान करते हैं। उनके हालिया उपन्यास को 'सर्वहारा लेखक' पुरस्कार, जो इवार ल-युहान्सन के नाम पर है, से नवाज़ा गया। वे वैर्मलाण्ड प्रान्त के ग्रामीण क्षेत्र में रहते हैं, जो उनके कई उपन्यासों, मे इस मौजूदा कथा, की पृष्ठभूमि है। 1986 से लगभग एक दशक तक वे भारत यात्रा पर कई बार आये। यह अनुभव उनके तीन हालिया उपन्यासों में प्रतिबिम्बित होता है। इन उपन्यासों में उन्होंने नर्मदा पर बने बाँधों, भारत में नदियों की पूजा-अर्चना तथा औपनिवेशिक काल में जन-आन्दोलन के तत्वों को उजागर किया है। उन्होंने हिन्दी कवि तेजी ग्रोवर के साथ स्वीडी कविताओं के संकलन 'बर्फ़ की ख़ुशबू' का सह-सम्पादन भी किया है। 2006 में स्वीडीश सरकार ने उन्हें आजीवन अनुदान से सम्मानित किया है। लार्श एण्डरसन की कुछ चुनिन्दा किताबें - Brandlyra, (अग्नि का साज़) उपन्यास, 1974 Snöljus, (बर्फ़ की रोशनी) उपन्यास, 1979 Bikungskupan ( मधुमक्खी राजा का छत्ता) उपन्यास, 1982 Vattenorgein, (पानी का ऑर्गन) उपन्यास, 1998 Artemis, (आतिमिस) उपन्यास, 1995, Kavita, (कविता) उपन्यास, 2001 Berget, (पर्वत) उपन्यास, 2002, Vágen till Gondwana, (गोंडवाना भूमि में) उपन्यास, 2004। प्रमुख पुरस्कार : स्वेन्स्का डागब्लाडेट साहित्य पुरस्कार, 1982 सेल्मा लागरलोफ साहित्य पुरस्कार, 1990 स्वीडी रेडियो श्रीता पुरस्कार, 1993 स्वीडी अकादमी का 'द एक्सल हिश' पुरस्कार, 1996