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Murli Manohar Prasad Singh

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"मुरली मनोहर प्रसाद सिंह - 29 जून, 1936 के दिन बरौनी (ज़िला-बेगूसराय, बिहार) में जन्म हुआ। 1959 में उन्होंने प्रथम श्रेणी में प्रथम स्थान प्राप्त कर पटना विश्वविद्यालय से हिन्दी में एम.ए. किया। पुरुलिया, पटना और दिल्ली के शिक्षा संस्थानों में वे प्राध्यापक और रीडर रहे हैं। आपातकाल में 19 महीने जेल में रहे। जेल से छूटने के बाद तीन बार दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के अध्यक्ष रहे। फिलहाल 9 वर्षों से जनवादी लेखक संघ के महासचिव और 'नयापथ' नामक त्रैमासिक पत्रिका के सम्पादक हैं। प्रकाशित कृतियाँ: आधुनिक हिन्दी साहित्य : विवाद और विवेचना, अलंकार-मीमांसा। सम्पादित कृतियाँ: प्रेमचन्द विगत महत्ता और वर्त्तमान अर्थवत्ता, संचार माध्यम और पूंजीवाद, 1857 बग़ावत के दौर का इतिहास, हिन्दी-उर्दू : साझा संस्कृति, फ़ैज़ की शायरी : एक जुदा अन्दाज़ का जादू, फ़ैज़ की शख़्सियत : अँधेरे में सुर्ख लौ, जाग उठे ख़्वाब कई : साहिर रचनावली, समाजवाद का सपना, देवीशंकर अवस्थी के निबन्धों का संचयन, नागार्जुन अन्तरंग और सृजनकर्म, रामविलास शर्मा के निबन्धों का संचयन, प्रगतिशील सांस्कृतिक आन्दोलन, पाश्चात्य दर्शन और सामाजिक अन्तर्विरोध, 1857 इतिहास, कला, साहित्य, मार्क्स की अर्थशास्त्र और दर्शन सम्बन्धी 1844 की पाण्डुलिपियाँ। "

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