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Prem Singh

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प्रेम सिंह

डॉ. प्रेम सिंह दिल्ली विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में रीडर हैं। भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, शिमला में बतौर फ़ेलो तीन वर्ष (1991-94) हिन्दी और बांग्ला उपन्यास में क्रान्ति के विचार का अध्ययन किया है। अध्ययन का एक भाग ֹ‘क्रान्ति का विचार और हिन्दी उपन्यास’ शीर्षक से प्रकाशित है। इस पुस्तक पर हिन्दी अकादमी, दिल्ली का वर्ष 2000-2001 का ‘साहित्यिक कृति सम्मान’ मिल चुका है।

प्रमुख पुस्तकें हैं—‘अज्ञेय : चिन्तन और साहित्य’ (आलोचना); ‘कट्टरता जीतेगी या उदारता’, ‘उदारीकरण की तानाशाही’ (विमर्श); ‘अभिशप्त जियो’, ‘पीली धूप पीले फूल’ (कविता-संग्रह);  ‘काँपते दस्तावेज़’ (कहानी-संग्रह); ‘निर्मल वर्मा : सृजन और चिन्तन’, ‘रंग-प्रक्रिया के विविध आयाम’, ‘साने गुरुजी साहित्‍य संकलन’, ‘मधु लिमये : जीवन और राजनीति’ (सम्‍पादन)।

इनके अलावा ‘गुजरात के सबक’, ‘जानिए योग्य प्रधानमंत्री को’, ‘मिलिए हुकम के ग़ुलाम से’, ‘संविधान पर भारी साम्प्रदायिकता’ पुस्तिकाएँ प्रकाशित।

छात्र जीवन से ही समाजवादी आन्दोलन से जुड़े डॉ. प्रेम सिंह सोशलिस्ट पार्टी के महासचिव हैं।

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