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शार्लोट ब्रॉन्टे

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शार्लोट ब्रॉन्टे

शार्लोट ब्रॉन्टे का जन्म यौर्कशायर के पहाड़ी ग्रामीण परिवेश में आयरिश मूल के पादरी रेवेरेन्ड पैट्रिक ब्रॉन्टे के घर 1816 ई. में हुआ। एक भाई और तीन बहनें—चार भाई-बहन थे। शार्लोट जब मात्र पाँच वर्ष की थीं, तभी उनकी माँ का क्षय रोग से देहान्त हो गया। फिर घर की आया ने ही इन भाई-बहनों का पालन-पोषण किया। घर के अध्ययनशील परिवेश ने ब्रॉन्टे भाई-बहनों को न सिर्फ़ पुस्तकों की ओर प्रेरित किया, वरन् उन्हें नाटक खेलने तथा कविता-कहानियाँ लिखने की भी प्रेरणा दी।...पिता की सीमित आय तथा धन-अर्जन के आशा-स्तम्भ रूप भाई की आकस्मिक मृत्यु के कारण बहनों ने आर्थिक संकट की भयावहता को बहुत गहरे रूप से झेला और नारियों के आर्थिक रूप से स्वतंत्र होने की आवश्यकता को तीव्रता से अनुभव किया। शार्लोट ब्रॉन्टे ने अपने इस अनुभव को ‘जेन आयर’ में विस्तार से रेखांकित किया है। ‘द प्रोफ़ेसर’, ‘जेन आयर’ के बाद कुछ और उपन्यास प्रकाशित। प्रारम्भिक गर्भावस्था की अस्वस्थता में ही 1855 ई. में देहान्त।

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