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तरुण भटनागर

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"तरुण भटनागर - इकतालीस वर्षीय तरुण मूलतः छत्तीसगढ़ के रहनेवाले हैं। रायपुर में जनमे और सुदूर आदिवासी अंचल बस्तर के क़स्बे में बस गये। पहले गणित और इतिहास से स्नातकोत्तर। लगभग सात वर्ष आदिवासी क्षेत्रों में अध्यापन और उसके बाद राज्य प्रशासनिक सेवा में। लेखन का प्रारम्भ कविताओं से। कुछ कविताएँ कथन, कथादेश, प्रगतिशील वसुधा, साक्षात्कार, रचना समय, अक्षर पर्व, वर्तमान समय आदि पत्रिकाओं में प्रकाशित। कहानियों की शुरुआत क़ाफ़ी बाद में अब तक लगभग दो दर्जन कहानियाँ विभिन्न पत्रिकाओं में। कहानी-संग्रह 'गुलमेंहदी की झाड़ियाँ' मध्य प्रदेश हिन्दी साहित्य अकादेमी के 'वागेश्वरी पुरस्कार' (2008) से सम्मानित। "

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