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Dr. Samir Kumar Sinha

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डॉ. समीर कुमार सिन्हा ने पिछले दो दशकों से अधिक समय से वन्यजीवों के संरक्षण में सीधे तौर से जुड़े हुए हैं। आपने स्नातकोत्तर पर्यावरण विज्ञान की पढ़ाई के बाद वन्यजीव प्रबन्धन के मानवीय पहलुओं पर शोध कर पीएच.डी. हासिल की। करीब 14 वर्षों तक बिहार के वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में बाघों के संरक्षण के ऊपर वैज्ञानिक अध्ययन एवं प्रबन्धन के साथ-साथ स्थानीय लोगों से जुड़कर काम किया। बाघों के अतिरिक्त इनकी रुचि और विशेषज्ञता जलीय जीवों जैसे गंगा की डॉल्फिन और घड़ियालों के संरक्षण में भी है। काम के सिलसिले में देश के विभिन्न भागों में वन्यजीव बहुल आश्रयणियों, राष्ट्रीय उघानों और टाइगर रिज़र्वों में आना-जाना लगा रहता है। राष्ट्रीय व्याघ्र संरक्षण प्राधिकरण, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मन्त्रालय भारत सरकार के द्वारा मनोनीत विशेषज्ञ के रूप में देश के करीब दो दर्जन टाइगर रिज़र्व के प्रबंधन के मूल्यांकन का काम किया। इस दौरान उन्हें देश के कई नामी-गिरामी टाइगर रिज़र्व को नजदीक से देखने का मौक़ा मिला। इस पुस्तक में कई उन टाइगर रिज़र्व की कहानियाँ भी शामिल हैं। डॉ. सिन्हा, राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय कई विशेषज्ञ समितियों के सदस्य हैं। वह करीब 10 वर्षों तक बिहार राज्य वन्य प्राणी परिषद के सदस्य रहे हैं। इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंज़र्वेशन ऑफ़ नेचर (आई.यू.सी.एन.) संस्था के वर्ल्ड कमीशन ऑन प्रोटेक्टेड एरिया और कमीशन ऑन इकोसिस्टम मैनेजमेंट के सदस्य भी हैं। लेखन में पुरानी रुचि है। वैज्ञानिक लेखन के साथ-साथ, पर्यावरण एवं वन्यजीवों के ऊपर आम जनों के लिए हिन्दी और अंग्रेज़ी पत्र-पत्रिकाओं एवं वेबसाइटों पर 70 से अधिक आलेख प्रकाशित हो चुके हैं। वर्तमान में वन्यजीव संरक्षण हेतु समर्पित गैर-सरकारी संस्था वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया में कार्यरत हैं।

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