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Gazanfar

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गज़नफ़र - 
गज़नफ़र का जन्म 9 मार्च, 1953 ई. में गोपालगंज बिहार में हुआ। मुस्लिम यूनिवर्सिटी अलीगढ़ से उर्दू साहित्य में एम.ए. किया और 'मौलाना शिबली नोमानी के तनकीदी नज़रियात' पर शोध लिखकर पीएच.डी. की डिग्री प्राप्त की। विद्यार्थी जीवन में ही कवि और कहानीकार की हैसियत से मशहूर हो गज़नफ़र चुके थे। शिक्षा समाप्ति के पश्चात उर्दू टीचिंग एंड रिसर्च सेन्टर सोलन हिमाचल प्रदेश में अध्यापन शुरू किया और अब उर्दू सेन्टर लखनऊ के प्रधानाचार्य के पद पर कार्यरत हैं।
गज़नफ़र ने कई उपन्यास, कहानी, कविताएँ, ग़ज़लें, आलोचनात्मक लेख एवं शिक्षण-प्रशिक्षण से सम्बन्धित पुस्तकें लिखकर साहित्य जगत में एक स्थान प्राप्त कर लिया है। वो अपनी कृतियों में जितना महत्व विषय को देते हैं उतना ही महत्व Form शैली एवं तकनीक को भी देते हैं। यही कारण है कि उनकी रचनाओं को सामान्य पाठक भी पसन्द करते हैं और साहित्य आलोचक भी।
अब तक गज़नफ़र की 12 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। एक कहानी संग्रह 'हैरतफ़रोश', एक नाटक 'कोयले से हीरा', एक आलोचनत्मक पुस्तक 'मशरकी सआरे नक्द', शिक्षण एवं प्रशिक्षण के विषय पर दो किताबें 'जबानो अदब के बदरीसी पहलू' और 'तदरीसे शेरो शायरी' तथा सात उपन्यास 'पानी', 'कैंचली', 'दिव्यवानी', 'फुसूं', 'विषमंथन' 'मम' और 'कहानी अंकल'। गज़नफ़र के उपन्यास दिव्यवानी का हिन्दी अनुवाद 2004 में प्रकाशित हुआ। और अब उनके चर्चित उपन्यास 'कहानी अंकल' का हिन्दी रूपान्तरण प्रस्तुत किया जा रहा है। उनके दोस्त अहबाब जिस प्रकार उनके व्यक्तित्व की सादगी, शगुफ़्तगी और ख़ुशअखलाकी को पसन्द करते है आशा है उसी प्रकार हमारे पाठक उनके इस उपन्यास को पसन्द करेंगे।

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