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K. Shivaram Karanth

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"डॉ. के. शिवराम कारन्त - कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ ज़िलान्तर्गत कोट ग्राम में 10 अक्टूबर, 1902 में जनमे के. शिवराम कारन्त की कॉलेज की शिक्षा आधी-अधूरी ही रही। 1921 में गाँधी जी के आन्दोलन से प्रेरित हो वे देशव्यापी रचनात्मक कार्य के लिए समर्पित हो गये। तत्कालीन शिक्षा पद्धति के प्रति अनास्थावान होकर भी वे स्वयं शिक्षाविद् थे। वे तीन-तीन विश्वविद्यालयों से डी.लिट्. की उपाधि से विभूषित हुए। डॉ. कारन्त कन्नड़ साहित्य और संस्कृति के नवोन्मेष में आजीवन संलग्न रहे। उन्होंने शब्दकोश, विश्वकोश, यात्रावृत्त, संगीत रूपक, निबन्ध, कहानी आदि विविध विधाओं में लेखन कार्य किया लेकिन सर्वाधिक ख्याति मिली उन्हें उपन्यासकार के रूप में। उनकी प्रकाशित लगभग दो सौ कृतियों में से उनतालीस उपन्यास हैं। ज्ञानपीठ से प्रकाशित उनकी एक अन्य रचना है – 'मूकज्जी' (ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित उपन्यास )। कर्नाटक के अनूठे लोकनृत्य-नाट्य यक्षज्ञान के विस्तार में उनका विशेष योगदान रहा है। डॉ. कारन्त साहित्य अकादेमी पुरस्कार (1958), स्वीडिश अकादेमी का लोकनृत्य पुरस्कार (1960) और ज्ञानपीठ पुरस्कार (1977 ) से अलंकृत हुए। 1997 में उनका देहावसान हुआ। "

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