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Kishwar Naheed

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किश्वर नाहीद का जन्म सन् 1940 में एक पारम्परिक मध्यवर्गीय घराने में हुआ था। सन् 1949 में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बुलन्दशहर से वह अपने परिवार के साथ लाहौर चली गयीं। उनके पहले कविता संग्रह, लब-ए गोया (1968), ने उन्हें एक नयी बुलन्द आवाज़ के रूप में पहचान दी और पाकिस्तान के नारीवादी आन्दोलन में विशेष भूमिका के साथ स्थापित किया। जनरल ज़िया-उल-हक़ की ज्यादतियों के बीच उनकी कविता हम गुनहगार औरतें फासीवादी सियासत के विरोध का समूहगान बन गयी और तब से अब तक प्रतिरोध का एक स्थायी प्रतीक बनी हुई है। उनके प्रत्येक कविता संग्रह ने मानवाधिकारों और प्रगतिशील सोच वाली बुलन्द आवाज़ के रूप में उनकी प्रतिष्ठा को बढ़ाया है। उनकी कृतियों में वर्क वर्क आईना, गलियन धूप दरवाज़े, औरत-मर्द का रिश्ता, रात के मुसाफिर, शेर और बकरी, जादू की हँडिया, चाँद की बेटी, आबाद ख़राबा और उनकी आत्मकथा बुरी औरत की ख़ता शामिल हैं। उनकी संगृहीत कृतियाँ कुल्लियात दश्त-ए-कैस में लैला में पायी जा सकती हैं।

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