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Madhav Hada

Madhav Hada

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माधव हाड़ा

विख्यात आलोचक माधव हाड़ा का जन्म 9 मई, 1958 को उदयपुर, राजस्थान में हुआ। वे मुख्यतः मध्यकालीन साहित्य और इतिहास के क्षेत्र में रुचि रखते हैं। आधुनिक साहित्य, मीडिया और संस्कृति के क्षेत्र में भी उनका महत्त्वपूर्ण कार्य है। उनकी चर्चित कृति—‘पचरंग चोला पहर सखी री’ मध्ययुगीन संत-भक्त कवयित्री मीरांबाई के जीवन और समाज पर एकाग्र है, जिसका अंग्रेज़ी अनुवाद ‘मीरां वर्सेज़ मीरां’ नाम से प्रकाशित है। उनकी यह पुस्तक पर्याप्त चर्चा में रही। इसे 32वें ‘बिहारी पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया।

माधव हाड़ा ने भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, शिमला में दो वर्षीय अध्येतावृत्ति के अन्तर्गत (2019-2021) ‘पद्मिनी विषयक देशज ऐतिहासिक कथा-काव्य का विवेचनात्मक अध्ययन’ विषय पर शोध कार्य किया, जो ‘पद्मिनी : इतिहास और कथा-काव्य की जुगलबंदी’ नाम से प्रकाशित हुआ। प्राच्यविद्याविद् मुनि जिनविजय के अवदान पर भी उनका शोध कार्य है, जो साहित्य अकादेमी से प्रकाशित है। हाल ही में उन्होंने ‘कालजयी कवि और उनकी कविता’ नामक एक पुस्तक शृंखला का सम्पादन किया है, जिसमें कबीर, रैदास, मीरां, तुलसीदास, अमीर ख़ुसरो, सूरदास, बुल्लेशाह और

गुरु नानक शामिल हैं।

उनकी अन्य कृतियों में ‘वैदहि ओखद जाणै’, ‘देहरी पर दीपक’, ‘सीढ़ियाँ चढ़ता मीडिया’, ‘मीडिया, साहित्य और संस्कृति’, ‘कविता का पूरा दृश्य’, ‘तनी हुई रस्सी पर’ और सम्पादित कृतियों में ‘एक भव अनेक नाम’, ‘सौने काट ने लागै’, ‘मीरां रचना संचयन’, ‘कथेतर’ और ‘लय’ शामिल हैं।

मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय,उदयपुर के प्रोफ़ेसर पद से सेवानिवृत्ति के बाद, संप्रति वे भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान की पत्रिका ‘चेतना’ के सम्पादन से सम्बद्ध हैं।

ई-मेल : madhavhada@gmail.com

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