
Maharaja Vishwanath Singh
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"महाराजा विश्वनाथ सिंह - महाराजा विश्वनाथ सिंह रीवा के विद्यार्थी और भक्त नरेश तथा प्रसिद्ध कवि महाराज रघुराज सिंह के पिता थे। सम्वत् 1778 से लेकर 1797 तक रीवा की गद्दी पर रहे। जिस तरह वे ईश्वर की भक्ति के लिए जाने जाते थे उसी तरह ही काव्य रचना में भी सिद्धहस्त थे। यद्यपि वे राम के परम उपासक थे लेकिन कुल की परम्परा के अनुसार निर्गुण सन्त की वाणी का भी आदर करते थे। ब्रज भाषा में नाटक लिखने का श्रेय इन्हें ही जाता है। इस दृष्टि से महाराजा विश्वनाथ सिंह द्वारा रचित नाटक 'आनन्द रघुनन्दन' साहित्य के परिप्रेक्ष्य से विशेष महत्व रखता है। भारतेन्दु हरिश्चन्द्र ने इस नाटक को हिन्दी भाषा का प्रथम नाटक माना है। यद्यपि इसमें पदों की प्रचुरता है लेकिन संवाद ब्रजभाषा में है। इस नाटक में अंक विधान और पात्र विधान भी है। हिन्दी के प्रथम नाटककार के रूप महाराजा विश्वनाथ सिंह चिरस्मरणीय हैं।