
Punya Prasun Vajpai
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पुण्य प्रसून वाजपेयी –
पिछले 17 वर्षों से बतौर पत्रकार देश की सामाजिक-राजनीतिक स्थितियों को टटोलने की प्रक्रिया में नागपुर से प्रकाशित हिन्दी दैनिक 'लोकमत समाचार' से 1988 में पत्रकार के तौर पर कैरियर की शुरुआत। इस दौर में संडे-आब्जर्वर, संडे मेल, दिनमान और जनसत्ता में लगातार लेखन। साथ ही, राष्ट्रीय हिन्दी दैनिकों में लेखन। इसी दौर में 1995 में 'आदिवासियों पर टाडा' नामक किताब प्रकाशित। 1996 में टी.वी. पत्रकारिता से 'आजतक' के ज़रिये जुड़ना। 2003 में एनडीटीवी के हिन्दी चैनल 'एनडीटीवी इंडिया' की लाँचिंग टीम में बतौर एंकर/विशेष संवाददाता जुड़ना इस दौरान पहली बार स्टूडियों से बाहर एंकरिंग सीधे जनता के बीच जनता के साथ इंडिया यात्रा कार्यक्रम के माध्यम से किसी विशेष मुद्दे के अलग-अलग पहुलओं को पकड़ने का प्रयास। साथ ही, चुनाव के दौरान वोट यात्रा के जरिये चुनावी ज़मीन को दिखाने अनूठा प्रयास। टी.वी. पर पहली बार पी.ओ.के. (पाकिस्तान कब्ज़े वाले कश्मीर) की रिपोर्टिंग साथ ही आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तोएबा के चीफ़ मोहम्मद हाफिज़ सईद का इंटरव्यू कश्मीर से जुड़े तमाम पहलुओं को टी.वी. रिपोर्ट के ज़रिये उभारने का प्रयास इंटरव्यू आधारित कार्यक्रम 'कश्मकश के ज़रिये राजनेताओं के छुपे पहलुओं को उभारने की अनोखी पहल, टी.वी. के ज़रिये। बतौर एंकर संसद पर हमले के दौरान 'आजतक' पर बिना ब्रेक के लगातार साढ़े चार घंटे की एंकरिंग। 2004 में पुस्तक 'संसद: 'लोकतन्त्र या नज़रों का धोखा' प्रकाशित।