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Qurratulain Hyder

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"कुर्रतुलऐन हैदर - ऐनी आपा के नाम से मशहूर कुर्रतुलऐन हैदर का जन्म 20 जनवरी, 1927 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में हुआ था। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा लालबाग, लखनऊ के गाँधी स्कूल में हुई। उन्होंने अलीगढ़ और लखनऊ के आईटी कॉलेज से बीए एवं लखनऊ विश्वविद्यालय से एमए की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने लन्दन के हीदरलेस आर्ट्स स्कूल में शिक्षा ग्रहण की। विभाजन के समय 1947 में उनके भाई-बहन व रिश्तेदार पाकिस्तान चले गये। कुर्रतुलऐन का रचनात्मक संसार बहुत विस्तृत रहा। उनके लेखन में समाज और संस्कृति की विस्तृत झलक दिखाई देती है। हाँलाकि ऐनी का बहुआयामी लेखन कई विधाओं में फैला है, लेकिन उनकी मूल पहचान उपन्यासकार की रही। एनी ने बहुत कम उम्र में लिखना शुरू कर दिया था। उनकी पहली कहानी ‘बी चुहिया’ मात्र छह वर्ष की अल्पायु में प्रकाशित हुई। जब वह 17-18 वर्ष की थीं, तब 1945 में उनका कहानी संकलन ‘शीशे का घर’ प्रकाशित हुआ। इसके अगले ही साल 19 वर्ष की आयु में उनका प्रथम उपन्यास ‘मेरे भी सनमखाने’ प्रकाशित हुआ। कुर्रतुलऐन हैदर ने अपना करियर एक पत्रकार की हैसियत से शुरू किया लेकिन इस दौरान वह लिखती भी रहीं। उनकी कहानियाँ, उपन्यास, अनुवाद, रिपोर्ताज़ आदि लगातार सामने आते रहे। वह उर्दू में लिखती और अंग्रेज़ी में पत्रकारिता करती थीं। ऐनी साहित्य अकादेमी में उर्दू सलाहकार बोर्ड की दो बार सदस्य रहीं। विज़िटिंग प्रोफ़ेसर के रूप में कुर्रतुलऐन जामिया इस्लामिया विश्वविद्यालय व अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और अतिथि प्रोफ़ेसर के रूप में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय से भी जुड़ी रहीं। कुर्रतुलऐन हैदर को ज्ञानपीठ पुरस्कार सहित साहित्य के सभी प्रतिष्ठित पुरस्कार मिले थे। वे भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'पद्मभूषण' से भी सम्मानित थीं। "

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