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Rajni Gupta

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"रजनी गुप्त - जन्म: 2 अप्रैल, 1963, चिरगाँव, झाँसी उ.प्र.। शिक्षा: जे.एन.यू. से एम.फिल. और पीएच.डी.। प्रकाशित कृतियाँ: उपन्यास— 'कहीं कुछ और', 'किशोरी का आसमाँ', 'एक न एक दिन', 'कुल जमा बीस', 'ये आम रास्ता नहीं', 'कितने कठघरे' व 'नये समय का कोरस'; कहानी-संग्रह— 'एक नयी सुबह', 'हाट बाज़ार', 'प्रेम सम्बन्धों की कहानियाँ', 'अस्ताचल की धूप', 'फिर वहीं से शुरू'; स्त्री-विमर्श— 'सुनो तो सही' (आलोचना), 'बहेलिया समय में स्त्री' (स्त्री मुद्दों पर आलेख); सम्पादन— 'आज़ाद औरत कितनी आज़ाद', 'मुस्कराती औरतें', 'आख़िर क्यों लिखती हैं स्त्रियाँ'। विशेष: 'कहीं कुछ और' राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन ओपन यूनिवर्सिटी के स्त्री-विमर्श पाठ्यक्रम में शामिल। 'स्त्री घर' (डायरी) औरंगाबाद विश्वविद्यालय के बी.ए. पाठ्यक्रम में शामिल। 'सुनो तो सही' हिन्दी गद्य साहित्य का इतिहास (रामचन्द्र तिवारी) में शामिल। पुरस्कार/सम्मान: युवा लेखन सर्जना पुरस्कार (उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान), आर्य स्मृति साहित्य सम्मान, 2006 (किताबघर प्रकाशन), 'किशोरी का आसमाँ' पर अमृतलाल नागर पुरस्कार, 2008 क़लमकार फ़ाउंडेशन द्वारा अखिल भारतीय कहानी प्रतियोगिता में द्वितीय पुरस्कार, 2014। 'अस्ताचल की धूप' कहानी-संग्रह पर उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान का 'रावी स्मृति सम्मान' । 'कितने कठघरे' पर 'महादेवी वर्मा पुरस्कार', 2016। शोधकार्य : दर्जनों विश्वविद्यालयों में शोधकार्य सम्पन्न एवं जारी। "

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