
Ranjana Jaiswal
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मैं रंजना जायसवाल, एम.ए., पीएच.डी. (हिन्दी), जन्म स्थान पड़रौना (उत्तर प्रदेश) वर्तमान में एक मिशनरी कालेज में शिक्षिका हूँ। वैसे तो लेखन की शुरुआत बचपन में ही हो गयी थी, यदा-कदा छपती भी रहती थी, पर 1997 से ज़्यादा सक्रिय हूँ। अब तक मेरी निम्न पुस्तकें प्रकाशित हैं- मछलियाँ देखती हैं सपने, दुःख-पतंग, ज़िन्दगी के काग़ज़ पर, माया नहीं मनुष्य, जब मैं स्त्री हूँ, सिर्फ़ काग़ज़ पर नहीं (काव्य-संग्रह)। तुम्हें कुछ कहना है भर्तृहरि, औरत के लिए (कहानी-संग्रह), स्त्री और सेंसेक्स (लक्ष-संग्रह)।...और मेघ बरसते रहे (उपन्यास)।
देश की सभी महत्त्वपूर्ण पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ छपती रहती हैं। अब तक मुझे निम्न सम्मान मिल चुके हैं- अ.भा. अम्बिका प्रसाद दिव्य पुरस्कार (मध्य प्रदेश), भारतीय दलित साहित्य अकादमी पुरस्कार (गोंडा), स्पेनिन साहित्य गौरव सम्मान (राँची, झारखंड), विजय देव नारायण साही कविता सम्मान (लखनऊ, हिन्दी संस्थान) साहित्य ही मेरा साध्य व साधन दोनों है।