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Zehra Nigah

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"ज़ेहरा निगाह सन् 1936 में भारत के हैदराबाद में जन्मीं और सन् 1947 में वह अपने परिवार के साथ पाकिस्तान चली गयीं। उन्होंने काफ़ी कम उम्र से मुशायरों में अपनी कविताएँ सुनाना शुरू कर दिया था, जो उस समय के लिए असामान्य बात थी। उन्होंने स्त्रियोचित और स्त्रीवाद के बीच की महीन रेखा को विस्तार देते हुए छह दशकों से पुरुष प्रधान मुशायरे के काव्य विषयक परिदृश्य में अपनी पसन्द को निर्धारित करने के लिए लिंग की प्राथमिकता को नकारा। उन्होंने पुरुष प्रधान मुशायरे के मंचों पर अपनी कविताओं के भावों और लालित्य से अपनी बुलन्द आवाज़ की उपस्थिति दर्ज की। उनकी कविताएँ एक औरत और शायरा होने की विवशता और समझौतों के साथ एक ऐसे विचारवान शख़्स की कविताएँ हैं जो दुनिया में उसके नज़दीक घट रही घटनाओं से प्रभावित होती हैं। उनके चार कविता संग्रह प्रकाशित हुए हैं : शाम का पहला तारा, वर्क, फ़िराक़ और गुल चाँदनी। उन्होंने कई टेलीविज़न धारावाहिक भी लिखे। सन् 2006 में उनके द्वारा किये गये साहित्यिक कार्यों के लिए उन्हें प्राइड ऑफ परफॉर्मेंस सहित अनेक पुरस्कारों से नवाज़ा गया।

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