Aacharya Ramanath Jha Rachnawali (5 Volume Set)
एहि में विद्यापति सँ सम्बद्ध रचना अछि। विद्यापति मैथिलीक कालजयी रचनाकार छथि। आचार्य रमानाथ झाक सर्वाधिक प्रिय कवि । तेँ विद्यापतिक कविते पर नहि, हुनक सभ कृति पर ओ विचार कयलनि अछि। विद्यापतिक प्रसंग आचार्य रमानाथ झाक सम्पूर्ण लेखन एहि खण्ड में संगृहीत अछि । विद्यापति केँ बुझबाक लेल ई आधार प्रस्तुत करैत अछि। आँखि दैत अछि।
प्रस्तुत खण्ड मैथिली साहित्य सँ सम्बद्ध अछि। मैथिली साहित्यक इतिहास, साहित्य-लेखनक स्थिति आ विकासक दिशा, शोध आ समीक्षाक माध्यम सँ रचना ओ रचनाकार केँ बुझबाक सामर्थ्य – एहि खण्डक खास विशेषता थिक । आचार्य रमानाथ झाक दृष्टि साहित्यक अतीत आ वर्त्तमान पर जतेक छनि ताहि सँ बेसी ओकर भविष्यक लेल ओ आकुल-व्याकुल छथि ।
तेसर खण्ड मे आचार्य रमानाथ झा लिखित मिथिला ओ मैथिली भाषा विषयक रचना अछि। साहित्यक अध्ययन आ लेखन ताधरि संभव नहि अछि जाधरि भूगोल, माटि-पानि, समाज आ ओकर संस्कृति, अर्थ-व्यवस्था एवं शासन-प्रशासन केँ हृदयंगम नहि कयल जायत। मिथिला जनपद आ एकर भाषिक स्थितिक इतिहास एवं वर्त्तमान पर आचार्य रमानाथ झाक विचार-विमर्श एहि खण्डक विषय-वस्तु अछि ।
खण्ड चारि मे आचार्य रमानाथ झाक विविध लेखन संकलित अछि । जेना, हुनक बाल-साहित्य । किन्तु, एहि मे हुनक उद्यन-कथा, वररुचि-कथा एवं अलयीकुल-प्रकाश नामक महत्त्वपूर्ण पोथी सेहो सम्मिलित कयल गेल अछि । आचार्य रमानाथ झाक कथाकार कथाकार तथा शोध- अनुसंधानकर्ताक परिचय एहि सँ प्राप्त होइत अछि । दुनू कथा - पोथी हुनक संस्कृत भाषा-साहित्यक अध्ययन अनुशीलनके साकार करैत अछि। गुरु गोविन्द सिंह अनुवाद-कृति - थिक । विषय-वस्तुतँ सहजेँ, एकर भाषा-प्रवाह सेहो मुग्धकारी अछि ।
ई खण्ड संस्कृत भाषा - साहित्यक रचना पर केन्द्रित मिथिलाक तंत्र-साहित्यक सम्पादन- क्रम मे लिखित भूमिकाक संकलन थिक । एहि सँ पोथीक महत्ताक ज्ञान होइत अछि । पुरुष-परीक्षाक अनुवाद मैथिली मे तँ अछिए, किछु कथाक अंग्रेजी अनुवाद सेहो अछि । कालिदास रचित 'अभिज्ञान शाकुन्तलम्' मैथिल-पाठ पहिल बेर प्रकाशित भेल अछि ।
Publication | Vani Prakashan |
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