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आधुनिक हिन्दी कविता में विचार

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आधुनिक हिंदी कविता में विचार की स्थिति को देखते हुए ही कविता संबंधी चिंतन और प्रतिमानों में भी परिवर्तन हुआ है । कविता को संघर्षकारी माध्यम के रूप में विकसित करने में विचार की संघर्षमयी भूमिका का प्रतिफलन आधुनिक हिंदी कविता में, विशेष रूप से स्वातंत्र्योत्तर कविता में, लक्षित किया जा सकता है।
कविता के मूलगामी प्रमुख तत्त्वों में कल्पना, भाव, विचार सदैव अपनी स्थिति बनाए रहते हैं । सामाजिक मनःस्थितियों की सापेक्षिकता में काव्ययुगों के निर्माण में इन तीनों की स्थिति भी सदैव परिवर्तित होती रहती है। मोटे रूप में छायावादी रुझान अधिक कल्पनाप्रधान थे। छायावादी युग में 'कल्पना-तत्त्व' भाव और विचार की अपेक्षा केंद्रीयता प्राप्त कर गया था, तो नयी कविता के युग में भावक्षेत्र में पड़नेवाला 'भावनातत्त्व' बुद्धिसंवलित होकर केंद्र में स्थित रहा। किंतु इसके बाद के काव्य में संक्रमणकालीन हलचलों और विभिन्न दावों के अतिरिक्त 'विचारतत्त्व' केंद्रीय धुरी बनता गया । कविता के तात्विक समीकरण में यह एक बुनियादी परिवर्तन हुआ है। इस विकास की प्रामाणिकता तत्कालीन भारतीय सामाजिक मानसिक विकास में लक्षित की जा सकती है।
प्रस्तुत पुस्तक आधुनिक हिंदी कविता पर एक दृष्टिविरोध से प्रकाश डालती है। इसके अंतर्गत काव्य के
सभी पक्षों को समेटा जा सका है।
यह विचारतत्त्व की दृष्टि से आधुनिक हिंदी कविता का पहला अध्ययन है।

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डॉ. बलदेव वंशी (Dr. Baldev Vanshi)

"बलदेव वंशी - जन्म : 1 जून 1938 को मुलतान शहर (अब पाकिस्तान में) । शिक्षा : एम.ए. (हिन्दी), पीएच.डी. । कृतित्व : पन्द्रह कविता-संग्रह, चौदह आलोचना पुस्तकें, बीस सम्पादित पुस्तकें, चार भाषा आन्दोलन पर तथा पाँच बालोपयोगी पुस्तकें, दो नाटक । सन्त मलूकदास तथा सन्त दादू ग्रन्थावलियाँ, सन्त मीराबाई, सन्त सहजो कवितावलियाँ, भारतीय सन्त परम्परा तथा सन्त कबीर पर पाँच पुस्तकें। सन्त पुस्तकमाला के लेखन-सम्पादन-समन्वय के अन्तर्गत इक्कीस पुस्तकें प्रकाशित । सम्मान पुरस्कार : विभिन्न अकादमियों, संस्थाओं, विश्वविद्यालयों द्वारा सम्मानित । छह पुस्तकों पर केन्द्र व राज्य सरकारों द्वारा पुरस्कृत जिनमें 'कबीर शिखर सम्मान', 'मलूक रत्न सम्मान', 'दादू शिखर सम्मान' आदि शामिल । यात्राएँ : 'विश्व रामायण सम्मेलन' तथा 'कबीर चेतना-यात्रा' के सिलसिले में मॉरिशस, हालैंड, इंग्लैंड, बेल्जियम, नेपाल आदि । कार्यभार : 'विश्व कबीरपन्थी महासभा' के अध्यक्ष, 'अखिल भारतीय श्री दादू सेवक-समाज' के महानिदेशक, सन्त साहित्य अकादमी के अध्यक्ष रहे । निधन : 7 जनवरी 2017 को दिल्ली में निधन ।"

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