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Aadmi Ki Taraf

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आदमी की तरफ़ मेरा नया संकलन है। इसकी एक विशेषता वे ग़ज़लें हैं जो मैंने क्लासिकल शायरों की ग़ज़लों के छन्द, रदीफ़ और काफ़ियों में लिखी हैं। इसका एक कारण है। मैं अतीत को बदलते वर्तमान के आईनों में जाँचना-परखना चाहता था, उन बुनियादों की खोज करना चाहता था जो समय की निरन्तरता को दर्शाती हैं और आज को बीते हुए कल की रोशनी में चलना सिखाती हैं।
खुसरो और कबीर से दुआ डिबाइवी तक इन ग़ज़लों के माध्यम से मैंने ग़ज़ल विधा के इतिहास के तक़रीबन 600 वर्षों की यात्रा की है। इस यात्रा में मुझे इतिहास के हर मोड़ पर उस आदमी से ही मुलाक़ात हुई है जिसके लिए ज़मीन और आसमान के बीच नयी-नयी दीवारों का निर्माण किया गया है। पुराने शाइरों की तरह मैंने भी अपना रिश्ता उसी आदमी से जोड़े रखा है जो इन दीवारों के विभाजन का शिकार रहा है। फ़र्क़ सिर्फ़ इतना है : पहले इस रिश्ते में मौत, ज़िन्दगी और कुदरत का दायरा बनता नज़र आता है, मेरे दौर तक आते-आते इसमें बढ़ती हुई जनसंख्या और इससे जुड़े तिजारती मसले ज़्यादा गहरे और बहुआयामी बन चुके हैं। झूठ तथा सच की पहली परिभाषाएँ आज की उलझी हुई समस्याओं के विश्लेषण करने में न सिर्फ़ असफल हैं, वे नये सन्दर्भों की खोज का भी मुतालिब करती हैं। मैंने इन ग़ज़लों के माध्यम से अपने जिस संसार को रचा है, वही इसमें शामिल कविताओं और दोहों में भी मिलता है। इस संसार में मैंने उस आम आदमी को कल और आज के आईनों में उतारने की कोशिश की है जो हमेशा से बेचेहरा और बेनाम है। मैंने अपने तौर पर इसको चेहरा और नाम देने का प्रयास किया है।

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Aadmi Ki Taraf
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Vani Prakashan
Author: Nida Fazli
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निदा फ़ाज़ली (Nida Fazli)

निदा फ़ाज़ली : निदा फ़ाज़ली का जन्म 12 अक्तूबर 1998 को दिल्ली में और प्रारम्भिक जीवन ग्वालियर में गुज़रा। ग्वालियर में रहते हुए उन्होंने उर्दू अदब में अपनी पहचान बना ली थी और बहुत जल्द वे उर्दू की साठोत्तरी पीढ़ी के एक महत्त्वपूर्ण कवि के रूप में पहचाने जाने लगे। निदा फ़ाज़ली की कविताओं का पहला संकलन लफ़्ज़ों का पुल छपते ही उन्हें भारत और पाकिस्तान में जो ख्याति मिली वह विरले ही कवियों को नसीब होती है। गद्य की किताब मुलाक़ातें के लिए वे काफ़ी विवादास्पद और चर्चित रह चुके थे। खोया हुआ सा कुछ उनकी शाइरी का एक और महत्त्वपूर्ण संग्रह है। सन् 1999 का साहित्य अकादेमी पुरस्कार खोया हुआ सा कुछ पुस्तक पर दिया गया है। उनकी आत्मकथा का पहला खण्ड दीवारों के बीच और दूसरा खण्ड दीवारों के बाहर बेहद लोकप्रिय हुए हैं। फ़िल्म उद्योग से भी सम्बद्ध रहे। भारत सरकार ने 2013 को पद्मश्री सम्मान से नवाज़ा। 'तू इस तरह से मेरी ज़िन्दगी में शामिल है', 'कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता' और 'होश वालों को ख़बर क्या' जैसे पचासों चर्चित गाने फ़िल्मों के लिए लिखे । सम्पर्क : बी-201, सनराइज, आराम नगर 2, अपोजिट डीसीबी बैंक, फिशरीज यूनिवर्सिटी रोड, वर्सोवा, अन्धेरी (प.), मुम्बई - 400061 उनकी मृत्यु 8 फ़रवरी 2016 को हृदय गति रुकने से मुम्बई में हुई ।

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