आल्ह खण्ड
आल्ह-खण्ड -
'आल्ह-खण्ड' एक वीर रस प्रधान काव्य है जिसमें तेईस मैदानों और बावन लड़ाईयों का इतिवृत्त है। इस प्रचलित गाथा में आपसी बैर-भाव या विवाह आदि को लेकर कई लड़ाईयाँ ठनी हुई हैं। राजपूतों में रिवाज़ था कि कन्या के विवाह योग्य होते ही पिता प्रत्येक देश में नाई, पुरोहित आदि द्वारा न्यौता भेजता था। वर का चयन प्रायः तलवार की नोक पर होता और आकांक्षी राजकुमार को अपनी वीरता के प्रमाण में कन्या के पिता की कुछ शर्तें पूरी करनी होती थी। इसलिए लड़ाई एक अनिवार्य रीति-सी थी। 'नौलखा हार' के लिए लड़ाई स्त्रियों के आभूषण-प्रेम का संकेत देती है। स्थानीय त्यौहार या उत्सव में बाधा पड़ने पर युद्ध छिड़ जाते। 'भुजरिआ' का उत्सव इसका प्रमाण है। पिता की हत्या का बदला लेने के लिए मांड़ौ का युद्ध हुआ था।
'आल्ह-खण्ड' गाथा की सबसे बड़ी विशेषता देवी-देवताओं के प्रति पूज्य-भाव था। आशा गुप्ता द्वारा रचित इस पुस्तक में प्रेम, युद्ध और सामन्ती-शौर्य को अनेक घटना-क्रमों के सूत्रों में पिरो कर पाठकों के समक्ष प्रस्तुत किया गया है।
Publication | Vani Prakashan |
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