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Aankhon Bhar Aakash

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आँखों भर आकाश' देवनागरी में आनेवाला निदा फ़ाज़ली का ऐसा संकलन है जिसमें उनकी अब तक की अधिकांश कविताएँ निरखी और परखी जा सकती हैं। इसमें पिछले पच्चीस बरसों की उसकी सोच-समझ और सरोकार का फैलाव है और अब तक आये तीनों मजमूओं में से खुद लेखकीय चुनाव-इसीलिए एक अर्थ में यह निदा की प्रतिनिधि कविताओं का संग्रह भी कहा जा सकता है। इसमें ग़ज़लें भी हैं, नज़्में भी और कुछ गीत भी। शुरू का दौर भी है, बीच का भी और इधर का भी, लेकिन जो बात अव्वल से अब तक मुसलसिल बनी हुई है वह है कवि का हर एक के लिए एक बेलौस लगाव-कुछ लोगों को यह सिनिसिज़्मकी हदों को छूने वाला भी लग सकता है लेकिन शायद यह हर आधुनिक रचनाकार की मजबूरी है कि वह माँ, बाप, भाई, बहन, परिवार, स्त्री प्रेम, समाज और देश, किसी को भी जस-का-तस स्वीकार नहीं करता। वह उन्हें सन्देह के कठघरे में धकेलकर सवाल करता है-ऐसे कि पहले वह सवाल पलटकर एक-एक कर ख़ुद उसका गिरेबान पकड़ ले और फिर अन्ततः समाज का होकर रह जाये। यही वह सच है जिसे अपने समय का हर सही रचनाकार अपने अनुभव की रोशनी में ही देखना और परखना चाहता है जैसाकि ख़ुद निदा फ़ाज़ली का ही एक दोहा है :
वो सूफ़ी का क़ौल हो या पण्डित का ज्ञान, 
जितनी बीते आप पर उतना ही सच मान

-शानी

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Aankhon Bhar Aakash
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Vani Prakashan
Author: Nida Fazli
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निदा फ़ाज़ली (Nida Fazli)

निदा फ़ाज़ली : निदा फ़ाज़ली का जन्म 12 अक्तूबर 1998 को दिल्ली में और प्रारम्भिक जीवन ग्वालियर में गुज़रा। ग्वालियर में रहते हुए उन्होंने उर्दू अदब में अपनी पहचान बना ली थी और बहुत जल्द वे उर्दू की साठोत्तरी पीढ़ी के एक महत्त्वपूर्ण कवि के रूप में पहचाने जाने लगे। निदा फ़ाज़ली की कविताओं का पहला संकलन लफ़्ज़ों का पुल छपते ही उन्हें भारत और पाकिस्तान में जो ख्याति मिली वह विरले ही कवियों को नसीब होती है। गद्य की किताब मुलाक़ातें के लिए वे काफ़ी विवादास्पद और चर्चित रह चुके थे। खोया हुआ सा कुछ उनकी शाइरी का एक और महत्त्वपूर्ण संग्रह है। सन् 1999 का साहित्य अकादेमी पुरस्कार खोया हुआ सा कुछ पुस्तक पर दिया गया है। उनकी आत्मकथा का पहला खण्ड दीवारों के बीच और दूसरा खण्ड दीवारों के बाहर बेहद लोकप्रिय हुए हैं। फ़िल्म उद्योग से भी सम्बद्ध रहे। भारत सरकार ने 2013 को पद्मश्री सम्मान से नवाज़ा। 'तू इस तरह से मेरी ज़िन्दगी में शामिल है', 'कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता' और 'होश वालों को ख़बर क्या' जैसे पचासों चर्चित गाने फ़िल्मों के लिए लिखे । सम्पर्क : बी-201, सनराइज, आराम नगर 2, अपोजिट डीसीबी बैंक, फिशरीज यूनिवर्सिटी रोड, वर्सोवा, अन्धेरी (प.), मुम्बई - 400061 उनकी मृत्यु 8 फ़रवरी 2016 को हृदय गति रुकने से मुम्बई में हुई ।

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