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आवाज़ ग़ज़ल की नई दुनिया

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Aawaz Ghazal Ki Nai Duniya
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"चमकती है कहीं सदियों में आंसुओं से ज़मीं
ग़ज़ल के शेर कहाँ रोज़ रोज़ होते हैं"
हिन्दुस्तान और पाकिस्तान के अदबी रिसालों में हज़ारों शाइर छप रहे हैं लेकिन ग़ज़ल इतनी आसान नहीं है जितनी कि नज़र आती है यही वजह है कि हिन्दुस्तान और पाकिस्तान में चन्द नौजवान शाइर ही ऐसे हैं जो ग़ज़ल के बदलते हुए मिज़ाज का साथ देने में कामयाब हैं। पिछले दस सालों में जो शाइर उभरे हैं उनमें 'अशोक मिज़ाज' सरे फ़हरिश्त हैं।
-बशीर 'बद्र'

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Aawaz Ghazal Ki Nai Duniya
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अशोक मिज़ाज (Ashok Mizaj)

"अशोक सिंह ठाकुर 'मिज़ाज' - जन्म: 23 जनवरी, 1957, सागर (म.प्र.)। शिक्षा: एम.एससी. (रसायन शास्त्र)। प्रकाशित पुस्तकें: समन्दरों का मिज़ाज (उर्दू), समन्दरों का मिज़ाज (देवनागरी), सिग्नेचर, ग़ज़लनामा (उर्दू), ग़ज़ल 2000- शेरों का संकलन (सह-सम्पादन), आवाज़, किसी किसी पे ग़ज़ल मेहरबान होती है, मैं अशोक हूँ, मैं मिज़ाज भी (उर्दू), अशोक मिज़ाज़ की चुनिन्दा ग़ज़लें। पुरस्कार एवं सम्मान: मध्य प्रदेश उर्दू अकादमी भोपाल द्वारा शिफ़ा ग्वालियरी पुरस्कार, निश्तर ख़ानक़ाही ग़ज़ल स्मृति अवार्ड बिजनौर (उ.प्र.), नयी ग़ज़ल सम्मान, शिवपुरी, मध्य प्रदेश हिन्दी साहित्य सम्मेलन की सागर, पन्ना, उमरिया इकाई द्वारा सम्मान, साहित्य सृजन सम्मान, साहित्य सृजन साहित्यिक संस्था नागपुर द्वारा। "

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