प्रस्तुत पुस्तक में छत्तीसगढ़ की संस्कृति, ग्रामीण जीवन, स्थानीय कला, आजीविका, प्रशासन, प्रबन्धन, अर्थ-व्यवस्था, लोक परम्पराएँ, मान्यताएँ, पौराणिक किंवदन्तियाँ, स्वास्थ्य और कृषि से लेकर प्रायः सभी प्रकार के आलेख समाहित हो गये हैं।
ऐसे संकलन के पीछे एक तर्क यह भी है कि चिन्तन-मनन को ‘विभाजन' में देखने की बजाय हमेशा ‘समग्रता' में देखना ज़्यादा व्यावहारिक होता है। बेशक हमारा मस्तिष्क, विषयों के विभाजन और तुलना की ओर अधिक आकर्षित होता है, लेकिन मेरा अपना अनुभव यही है कि बहुत अधिक विभाजन करने और स्थितियों को अलग-अलग देखने से कई बार हम बड़े लक्ष्य से भटक भी जाते हैं। निश्चित ही, मेरी इस धारणा के विपरीत तर्क रखने वाले भी अपनी जगह सही हो सकते हैं। फिर भी यह कहा जा सकता है कि इस किताब में शामिल हर आलेख में विश्लेषण की एक नयी दृष्टि अन्तर्निहित है।
श्री तारन प्रकाश सिन्हा का जन्म 9 जुलाई 1975 को छत्तीसगढ़ के पेंड्रा शहर में हुआ। पेंड्रा में ही उन्होंने प्रारम्भिक शिक्षा प्राप्त की। बिलासपुर स्थित शासकीय महाविद्यालय, जरहाभाटा से उन्होंने इतिहास विषय में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की। संयुक्त मध्य प्रदेश के लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित राज्य सिविल सर्विस परीक्षा में उन्होंने पहले ही प्रयास में सफलता हासिल की। भारतीय प्रशासनिक सेवा में पदोन्नत होने के पश्चात वर्तमान में कलेक्टर, जिला राजनांदगाँव, छत्तीसगढ़ में अपने दायित्वों का निर्वहन कर रहे हैं। इससे पहले वो जनसम्पर्क आयुक्त, संचालक संस्कृति, संचालक पंचायत, नगर निगम आयुक्त रायपुर, सीईओ जिला पंचायत जांजगीर-चांपा के रूप में अपने दायित्वों का निर्वहन कर चुके हैं। उन्होंने छत्तीसगढ़ के अनेक अनुविभागों में अनुविभागीय दंडाधिकारी के रूप में भी अपने दायित्वों का निर्वहन किया है। सिंगापुर के सिविल सर्विस कॉलेज और अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलिफ़ोर्निया, बर्कले से आपने प्रशिक्षण प्राप्त किया है। लेखन में श्री तारन प्रकाश सिन्हा की सदैव ही महत्त्वपूर्ण रुचि रही है। प्रशासनिक सेवा में रहते हुए भी अनेक राष्ट्रीय तथा स्थानीय पत्र-पत्रिकाओं, समाचार-पत्रों में उनके लेख प्रकाशित होते रहे हैं। श्री तारन प्रकाश सिन्हा जी के पिताजी श्री एम. एल. सिन्हा सेवानिवृत्त जिला शिक्षा अधिकारी हैं। श्री सिन्हा की पत्नी श्रीमती श्वेता सिन्हा राज्य पुलिस सेवा की अधिकारी हैं और वर्तमान में संचालक, खेल एवं युवा कल्याण छत्तीसगढ़ हैं। इनके दो बच्चे, ईशान्वी एवं अव्यान हैं।