Publisher:
Vani Prakashan

अच्छी हिन्दी का नमूना

In stock
Only %1 left
SKU
Achchhi Hindi Ka Namoona
Rating:
0%
As low as ₹142.50 Regular Price ₹150.00
Save 5%

सुप्रसिद्ध साहित्य-महारथी श्री रामचन्द्र वर्मा को भगवान् ने भाषा की नस-नाड़ी समझने की विशेष प्रतिभा दी है। इस बात को वर्मा जी ने स्वयं स्वीकार किया है। वे जब छोटे थे और स्कूल में पढ़ते थे, तब भी हिन्दी-शब्दों की विशेष विवेचना करते थे। आपने उर्दू ले रखी थी; पर विवादास्पद हिन्दी-विषयों में निर्णय लेने के लिए लोग आपके ही पास पहुँचते थे। आगे चलकर तो आपने इस विषय में बड़ा काम किया। काशी-नागरी-प्रचारिणी-सभा ने हिन्दी का सबसे बड़ा कोश 'हिन्दी शब्द-सागर' तैयार कराने की बात सोची, तो आप पर ध्यान गया। उस महाकोश के सम्पादन में आपने जो श्रम किया और फिर उसे भी मथकर 'संक्षिप्त हिन्दी शब्द-सागर' रूपी रत्न-राशि निकालकर जो यश-अर्जन किया, उससे उनकी प्रतिभा देशभर में देदीप्यमान हो गयी । 'शब्द-सागर' में शब्दों के पर्य्याय ही आपने दे दिये हों, सो बात नहीं है । शब्द-परिचय भी पूरी तरह से दिया है!
कोश निर्माण के अनन्तर आपने जब देखा कि हिन्दी की दुर्दशा प्रयोगों में हो रही है, तब आप तिममिला उठे। आपने 'अच्छी हिन्दी' नाम की एक क्रान्तिकारी पुस्तक लिखकर प्रकाशित की! लोग भद्दी हिन्दी लिखना छोड़ें, अच्छी हिन्दी सब लिखने लगें, इसी उद्देश्य से दो सौ पृष्ठों में आपने भाषा-सम्बन्धी अपना सम्पूर्ण अर्जित और नैसर्गिक ज्ञान भर दिया है-गागर में सागर! पुस्तक प्रकाशित होते ही धूम मच गयी और देश भर के विश्वविद्यालयों ने बी. ए., एम. ए. तथा 'साहित्य-रत्न' आदि परीक्षाओं के पाठ्य-ग्रन्थों में इसे तुरत स्थान दिया! इससे बढ़कर पुस्तक की उपादेयता का प्रमाण और क्या हो सकता है? इन उच्च परीक्षाओं के छात्र ऐसे नहीं होते कि उन्हें उनकी मातृ-भाषा सम्बन्धी किसी पुस्तक को समझने के लिए कोई टीका या खुलासा अपेक्षित हो । परन्तु 'अच्छी हिन्दी' ऐसी गम्भीर और विवेचना-पूर्ण पुस्तक है कि इस पर कुछ लिखने को मेरा मन चला। सो, मेरा यह प्रयास 'स्वान्तः सुखाय' ही है। यदि इससे उन उच्च परीक्षाओं के छात्रों को भी कुछ लाभ पहुँचे, तो इसे मैं एक आनुषंगिक फल समझूँगा। आम का रस ले लेने पर यदि गुठलियों के दाम भी उठ आएँ, तो बुरा क्या? सो, सम्भव है, छात्रों को कुछ लाभ पहुँचे और 'अच्छी हिन्दी' को कुछ अच्छी तरह समझ जाएँ! यदि ऐसा हुआ, तो मैं अपना सौभाग्य समझँगा।
'अच्छी हिन्दी' की इस टीका में 1, 2, आदि क्रमांक दे-देकर मैंने काम लिया है। इस तरह वर्माजी के वे विवेचन वाक्य 'सूत्र' रूप से मैंने लिए हैं। क्रमांक 40 से आपको विशेष 'गम्भीर' विवेचन वर्माजी का मिलेगा। उससे इधर तो उनकी अपनी सुन्दर भाषा के नमूने हैं, जिनकी साधारण टीका मैंने कर दी है। इससे छात्र सब समझ जाएँगे और वर्माजी की इबारत की नकल करने में रत हो जाएँगे। आदर्श का अनुकरण लाभप्रद होता है; पर 'जाने बिनु न होइ परतीती' और 'बिनु परतीति होइ नहिं प्रीती'! बस, मेरा काम तो उधर आकर्षण पैदा कर देना है, जिसके लिए ही यह 'टीका' है।

ISBN
Achchhi Hindi Ka Namoona
Publisher:
Vani Prakashan
More Information
Publication Vani Prakashan
Write Your Own Review
You're reviewing:अच्छी हिन्दी का नमूना
Your Rating
कॉपीराइट © 2025 वाणी प्रकाशन पुस्तकें। सर्वाधिकार सुरक्षित।

Design & Developed by: https://octagontechs.com/