Publisher:
Vani Prakashan

अधजले ठुड्डे

In stock
Only %1 left
SKU
Adhjale Thudde
Rating:
0%
As low as ₹319.20 Regular Price ₹399.00
Save 20%
"कनाडा की पृष्ठभूमि और भारत की भावभूमि पर लिखी हंसा दीप की कहानियाँ आश्वस्त करती हैं। कथाकार की गहरी अनुभूतियों, अनवरत सृजनशीलता का ही प्रतिफल है कि वे समाज की विसंगतियों, प्रलोभनों, उसके भीतर छुपे बैठे प्रपंचों और अन्तर्विरोधों को इतनी सहजता से अपनी कहानियों में पिरोती हैं कि पाठक आद्योपान्त पढ़ता चला जाता है। 'एक बटे तीन' कहानी विदेश में प्रवास कर रहे चौथे भाई को पैतृक सम्पत्ति की हिस्सेदारी से बड़ी कुटिलता से अलग करने की कहानी है। भारत में रह रहे तीन भाइयों का फ़रेब और माँ के अतुल्य लाड़ का द्वन्द्व कहानी को जीवन्त कर देता है। 'लाइलाज' कहानी अपने आप में लाजवाब है। चार साल की बच्ची जिसका भारत में कहीं इलाज नहीं होता है, कनाडा का एक चिकित्सक बिना औषधि, सुई के दिनचर्या का चार्ट बनाकर ही बच्ची का इलाज कर देता है। 'शून्य के भीतर' कहानी में एक महिला डॉक्टर के वृद्धावस्था के एकाकीपन को इस शिद्दत से बुना गया है कि बिल्ली, गिलहरी, पपी और रैकून जैसे मानवेतर प्राणी केन्द्रीय बन जाते हैं। कहानी के अन्त में जो संवेदनशीलता प्रकट होती है, वह पाठक को संवेदित कर देती है। पुस्तक में संगृहित उनकी तमाम कहानियों में यथास्थान आई काव्यात्मकता को ग्राह्य और पठनीय बना देती है। भूमण्डलीकरण और बाज़ारवाद के क्रूर दौर में भी ये कहानियाँ मानवीय संवेदनाओं से सरोकार रखती हैं कहानियों में कथारस, शिल्प सौष्ठव, भाषायी वैशिष्ट्य, मुहावरे और लोकोक्तियाँ तथा सूक्त वाक्य हंसा दीप की कहानियों की विशेषता हैं जो उनको अन्य कहानीकारों से अलग पहचान देते हैं। हंसा दीप की कहानियाँ इक्कीसवीं सदी की आहट हैं। - रत्नकुमार साम्भरिया ★★★ प्रवासी ज़मीन पर खिलता मन समुद्री लहरों की हलचल से जीवन के कथानक रचता रहता है। हंसा दीप की स्मृतियों में भारत तो स्पन्दित है ही, पर कनाडाई जीवन और देश-देशान्तर को सहेजती अटलांटिक लहरों का परस भी मुखर है। अलबत्ता लहरों के नीचे चुम्बकीय चट्टान है, जिससे प्रवास-भूमि से लगाव संकर्षित रहता है। वे रंगभेदी नस्लों के ब्लैक-ब्राउन - श्वेत में मिले रागों को सँजोती हैं, जो चरित्र और कर्मठता में उजले हैं—“मैंने ब्लैकनेस को अपने जीवन के अन्दर उतारा है। यह मेरी तरह हर रंग को अपने में सोख लेता है।” इनमें वे रंग भी हैं, जो मूल देशों की सरहदों के टकराव, नस्लों-जातियों और राष्ट्रीयताओं से टकराकर घुलते-मिलते हैं। फिर कॉफ़ी और क्रीम के अलग रंगों के बावजूद एकाकार हो जाते हैं। इन कथाओं में पाठक सहयात्री बना रहता है। प्रकृति और आसमान के रंग भी पात्रों की मनःस्थितियों में थिरके हैं। सामाजिक संवेदनशीलता और नागरिक जागरूकता के गहरे रंगों के बावजूद अकेलेपन के उदास रंग जन-जीवन का हिस्सा हैं। पारिवारिक टकराव के त्रिकोण की बिखरी रेखाएँ भी हैं, तो कभी न मिलने वाली समान्तर पटरियाँ भी । जीवन के ताप भी हैं और अधिकार की जागरूक मानसिकता भी, पर अनजान लोगों के जीवन को बचाने और ख़तरों में समर्पित करने का माद्दा भी है। चरित्रों का जीवन, परिवेश, मनोविज्ञान, सामाजिक एवं प्राकृतिक भूगोल ऐसे प्लाट्स रचते हैं, जो विशिष्ट पहचान बनते हैं। इस मायने में ये कथानक स्पर्शिल भी हैं, प्रवासी समाजशास्त्र की विशिष्टता और लोकजीवन का स्पन्द भी। सिगरेट के जलते-कुचलते ये ठुड्डे चरित्रों की चेतना को रेखांकित करते पाठकीय प्रतिबोध का हिस्सा बन जाते हैं। - प्रो. बी.एल. आच्छा "
ISBN
Adhjale Thudde
Publisher:
Vani Prakashan
More Information
Publication Vani Prakashan
हंसा दीप (Hansa Deep)

"हंसा दीप : यूनिवर्सिटी ऑफ़ टोरंटो में लेक्चरर के पद पर कार्यरत। पूर्व में न्यूयॉर्क, अमेरिका की कुछ संस्थाओं में हिन्दी शिक्षण, यॉर्क विश्वविद्यालय टोरंटो में हिन्दी कोर्स डायरेक्टर। भारत में भोपाल विश्वविद्यालय और विक्रम विश्वविद्यालय के महाविद्यालयों में सहायक प्राध्यापक। लोक-साहित्य पर पुस्तक : ‘सौंधवाड़ी लोक धरोहर’, उपन्यास : ‘बन्द मुट्ठी’, ‘कुबेर’, ‘केसरिया बालम एवं काँच के घर’। उपन्यास : ‘बन्द मुट्ठी’ गुजराती भाषा में अनूदित। ‘केसरिया बालम’ मराठी भाषा में अनूदित। कहानी-संग्रह : ‘चश्मे अपने-अपने’, ‘प्रवास में आसपास’, ‘शत-प्रतिशत’, ‘उम्र के शिखर पर खड़े लोग’, ‘छोड़ आये वो गलियाँ’, ‘चेहरों पर टँगी तख़्तियाँ’, ‘मेरी पसन्दीदा कहानियाँ’, ‘टूटी पेंसिल’। कई साझा कहानी-संग्रह। हिन्दी की कई प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में रचनाओं के प्रकाशन के साथ मराठी, पंजाबी, बांग्ला, अंग्रेज़ी एवं उर्दू पत्र-पत्रिकाओं में अनुवादित रचनाएँ निरन्तर प्रकाशित । पंजाबी में अनूदित कहानी-संग्रह : ‘पूरन विराम तों पहिला’ मराठी में अनूदित दो कहानी-संग्रह : ‘आणिशेवटी तात्पर्य एवं मन गाभयातीलशिल्पे’। सृजन पर कार्य : हंसा दीप का उपन्यास-साहित्य-डॉ. दीपक पाण्डेय एवं डॉ. नूतन पाण्डेय; डॉ. हंसा दीप के कृतित्त्व पर विमर्श-विजय कुमार तिवारी; हंसा दीप का कहानी- साहित्य-डॉ. दीपक पाण्डेय एवं डॉ. नूतन पाण्डेय। सम्पादन : कनाडा की चयनित रचनाएँ, विश्वरंग भोपाल की पुस्तक का सम्पादन। कथारंग, देश-देशान्तर की कहानियाँ और विमर्श पुस्तकों का सम्पादन। 'शब्द घोष', त्रैमासिक पत्रिका के प्रवासी विशेषांक का सम्पादन। ‘अन्तरदेश' पत्रिका के कैनेडा विशेषांक का सम्पादन। ‘कथा-पाठ में आज' ऑडियो पत्रिका का डेढ़ वर्ष तक सम्पादन एवं कथा-पाठ। पत्रिकाओं के सम्पादक-मण्डल में : ‘रचना उत्सव’, ‘अन्तरदेश', 'समकालीन हस्तक्षेप', 'शब्द घोष'। भारत में आकाशवाणी से कई कहानियों व नाटकों का प्रसारण। कई अंग्रेजी फ़िल्मों के लिए हिन्दी में सब-टाइटल्स का अनुवाद। कैनेडियन विश्वविद्यालयों में हिन्दी छात्रों के लिए अंग्रेज़ी-हिन्दी में पाठ्य-पुस्तकों के कई संस्करण प्रकाशित। सम्मान : वर्ष 2024 में 'राष्ट्रीय निर्मल वर्मा सम्मान' से नवाज़ा गया। "

Write Your Own Review
You're reviewing:अधजले ठुड्डे
Your Rating
कॉपीराइट © 2025 वाणी प्रकाशन पुस्तकें। सर्वाधिकार सुरक्षित।

डिज़ाइन और विकास: Octagon Technologies LLP