अक्कित्तम की प्रतिनिधि कविताएँ - अक्कितत्तिम की कविताएँ यथार्थ के आत्माओन्वेहषण की खोज हैं और इस खोज में हर ओर वेदना है। अक्कि त्तिम परम्प राओं के अनुगमन में विश्वालस नहीं करते। वे परम्प राओं का निरन्तनर आकलन करते हुए श्रेष्ठ का चुनाव करते हैं। वे अपनी कविताओं में नितान्ते आधुनिकतावादी भले न दिखें लेकिन उनकी कविता की आन्तरिक ध्वनि निश्चिकत रूप से हमें अन्धविश्वािसों से निकालकर आधुनिकता की सच्चीि व शाश्ववत वैचारिक धारा की ओर ले जाती है।
जन्म 18 मार्च, 1926 को केरल के पालक्काड जिले के कुमरनल्लूर गाँव में हुअा। प्रारम्भिक शिक्षा पिता और कुछ गुरुओं से पाई; संस्कृत, तमिल, अंग्रेजी आदि भाषाओं और गणित व ज्योतिष का अध्ययन किया। लेकिन औपचारिक शिक्षा हाईस्कूल तक ही हो पाई।
अाकाशवाणी के कालीकट और त्रिश्शूर केन्द्रों पर अर्से तक कार्य किया। केरल साहित्य अकादमी के उपाध्यक्ष रहे। अन्य कई संस्थाओं में भी अध्यक्षीय पदों पर रहे।
प्रमुखकृतियाँ :वीरवादम्, मन:साक्षीयुडेपुक्कल, इडिञ्ञपोलिञ्ञालोकम, वेण्णक्कल्लिंडेकथा व स्पर्शमणिकल (कविता-संग्रह) तथा इरुपदामनूट्टांडिंडेइतिहास वबलिदर्शनम (खंडकाव्य)। कविता, कहानी, नाटक, निबंध, संस्मरण, साक्षात्कार और अनुवाद की लगभग पचास पुस्तकें प्रकाशित।
केरल साहित्य अकादमी पुरस्कार (1972, 1998), साहित्य अकादेमी पुरस्कार (1973), मध्य प्रदेश सरकार का कबीर सम्मान (2006), केरल सरकार का एषुतच्छन सम्मान (2008) और ज्ञानपीठ पुरस्कार (2019) सहित अनेक पुरस्कारों से सम्मानित। पद्मश्री (2017) से भी नवाजे गए।