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अक्षि मंच पर सौ सौ बिम्ब

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Akshi Manch Par Sau Sau Bimb
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अक्षि मंच पर सौ सौ बिम्ब - इस उपन्यास में ‘नीली' है। रंगहीन बीमार आँखों से रंग-बिरंगी दुनिया देखने की कोशिश करती, स्लीप पैरॉलिसिस जैसी बीमारी से जूझती नीली, जिसके लिए चारों ओर बहता जीवन, बाहर से निरोग और चुस्त दिखता जीवन अपना भीतरी क्षरण उधेड़ता चला जाता है। नीली कथा का केन्द्र है, अक्षम होने की नियति के हज़ार हाथों में फँसी छटपटाती नीली के ज़रिये हम दुनिया की उलट-पुलट और आयरनी का हर कोना देख आते हैं। उसी में टकराती और बहती जीवन की वे गतियाँ हैं जो किसी को बहा ले गयी हैं तो किसी में जूझने का हौसला देखना चाहती हैं। जीवन के बहुरंग उभार कर अल्पना मिश्र मनुष्य का जूझना और अवरुद्ध होकर भीतरी बाहरी बीमारियों के ढंग का हो जाना जैसे-जैसे कहती गयी हैं, वे संवेदना के गहन गहूवर और आकाश जैसे उन्मुक्त को उसकी हज़ार बारीकियों में रचती चली गयी हैं। और इसी के भीतर भूला-बिसरा सा वह साथ चलता समय टँगा है जिसमें जारी उथल-पुथल, आतंक और मनुष्य को निहत्था बनाने वाली प्रवृत्तियों का घेराव है। गैंगवार ही नहीं, धरकोसवा और मुड़कटवा जैसे भयकारी प्रायोजित यातना प्रसंग हैं, जिनका आना जैसे अनिष्ट का रूप बदल-बदल कर आना है और आकर इन्सानियत को तार-तार कर देना है। छोटे से कलेवर में बड़ा वृत्तान्त रचता यह उपन्यास अपने दिलचस्प कथ्य, भाषा में 'विट' के कौशल और शिल्प के अनूठे प्रयोग से बाँधता है तो चमत्कृत भी करता है।
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अल्पना मिश्र (Alpana Mishra)

"अल्पना मिश्र शिक्षा : एम.ए. (हिन्दी), पीएच. डी. (बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी)। रचनाएँ : ‘अन्हियारे तलछट में चमका’, ‘अस्थि फूल’, ‘अक्षि मंच पर सौ सौ बिम्ब’ (उपन्यास); ‘भीतर का वक़्त’, ‘छावनी में बेघर’, ‘क़ब्र भी क़ैद औ' ज़ंजीरें भी’, ‘स्याही में सुरख़ाब के पंख’, ‘अल्पना मिश्र : चुनी हुई कहानियाँ’, ‘दस प्रतिनिधि कहानियाँ’, ‘इस जहाँ में हम’ (डिजिटल संस्करण) (कहानी-संग्रह); ‘सहस्रों विखण्डित आईने में आदमक़द’, ‘स्त्री कथा के पाँच स्वर’, ‘स्वातन्त्र्योत्तर कविता का काव्य वैशिष्ट्य’, ‘स्त्री विमर्श का नया चेहरा’ (आलोचना)। विशेष : कुछ कहानियाँ पंजाबी, बांग्ला, कन्नड़, मराठी, अंग्रेज़ी, मलयालम, जापानी आदि भाषाओं में अनूदित। उपन्यास अन्हियारे तलछट में चमका पंजाबी में अनूदित तथा प्रकाशित। सम्मान : ‘शैलेश मटियानी स्मृति कथा सम्मान', 'परिवेश सम्मान', 'राष्ट्रीय रचनाकार सम्मान', भारतीय भाषा परिषद, कोलकाता का ‘शक्ति सम्मान', 'प्रेमचन्द स्मृति कथा सम्मान', ‘वनमाली कथा सम्मान'। सम्प्रति : प्रोफ़ेसर, हिन्दी विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली। "

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