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Andhere Ka Tala

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ममता कालिया की रचनाओं में जिस संवेदनशील, सन्तुलित, समझदार लेकिन चुलबुले, मानवीय सहानुभूति से आलोकित व्यक्तित्व की झलक मिलती है, वह उनके दृष्टिकोण की मौलिकता से दुगुना दम पाती है। उनकी रचनाओं में कलावादी कसीदाकारी न हो कर रोजमर्रा के जीवन के यथार्थ का सौन्दर्यबोध है। ममता कालिया ने लगभग हर रचना में अपने समय और समाज को पुनर्परिभाषित करने का सृजनात्मक जोखिम उठाया है। कभी वे समूचे परिवेश में नया सरोकार ढूँढती हैं तो कभी वे वर्तमान परिवेश में नयी अस्मिता और संघर्ष को शब्द देती हैं।

'अँधेरे का ताला' में ममता ने अपने चिरपरिचित परिवेश - कॉलेज की अध्यापिकाओं, छात्राओं और अन्य कर्मचारियों के जीवन - को चित्रित किया है। निराला की प्रसिद्ध कविता की पंक्तियों को सामने रखते हुए ममता ने 'अँधेरे का ताला खोलने वालों' की असलियत को अपने सुपरिचित व्यंग्य-विनोद भरी शैली में उकेरा है। शिक्षा का क्षेत्र किस तरह की उथल-पुथल का शिकार है, इसका एक दस्तावेज़ी चित्रण ममता ने इस उपन्यास में किया है और अन्त में नन्दिता और उसकी छात्राओं की हिम्मत पाठक को एक अदम्य साहस से भर जाती है। उपन्यास की ख़ूबी यह है कि ममता ने कहीं भी उपदेश देने की कोशिश नहीं की, बल्कि इस 'अँधेरे' के अक्स खींचते हुए 'उजाले' के द्वीपों पर भी नज़र डाली है।

स्वातन्त्र्योत्तर भारत के शिक्षित, संघर्षरत और परिवर्तनशील समाज का सजीव चित्र इस उपन्यास में अपने बहुरंगी आयामों में दिखायी देता है। हिन्दी कथा-जगत में ममता कालिया की तरह लिखने वाले रचनाकार विरल हैं जो गहरी आत्मीयता, आवेग और उन्मेष के साथ जीवन के धड़कते क्षण पाठक तक पहुँचा सकें। इनके लेखन में अनुभूति की ऊष्मा अनुभव की ऊर्जा के साथ रची-बसी है।

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ममता कालिया (Mamta Kalia)

"ममता कालिया - जन्म: 2 नवम्बर, 1940, मथुरा (उ.प्र.)। शिक्षा : एम. ए. (अंग्रेज़ी साहित्य)। दिल्ली व मुम्बई में अंग्रेज़ी का अध्यापन, इलाहाबाद के एक डिग्री कालेज के प्राचार्य पद से सेवानिवृत्त। पूर्व निदेशक, भारतीय भाषा परिषद, कोलकाता। प्रमुख प्रकाशित कृतियाँ : 'छुटकारा', 'सीट नम्बर छह', 'उसका यौवन', 'प्रतिदिन', 'जाँच अभी जारी है', 'बोलने वाली औरत', 'थियेटर रोड के कौव्वे', 'पच्चीस साल की लड़की' (कहानी-संग्रह); 'बेघर', 'नरक दर नरक', 'दौड़', 'अँधेरे का ताला', 'दुक्खम सुक्खम' (उपन्यास); 'आत्मा अठन्नी का नाम है', 'आप न बदलेंगे' (एकांकी); 'खाँटी घरेलू औरत' (कविता); 'Tribute to Papa & other poems', 'Poems 78' (अंग्रेज़ी कविता) । 9 महत्त्वपूर्ण पुस्तकें सम्पादित। देश-विदेश के कई पाठ्यक्रमों में पुस्तकें सम्मिलित। कई रचनाओं पर नाटक और टेली-फ़िल्म। यूरोप और नॉर्थ अमेरिका की साहित्यिक यात्राएँ। नारी-विमर्श और पत्रकारिता के विभिन्न पक्षों पर प्रामाणिक लेखन। राष्ट्रीय स्तर के साहित्यिक-सांस्कृतिक आयोजनों में सक्रिय सहभागिता। पन्द्रह से अधिक महत्त्वपूर्ण सम्मान\पुरस्कार प्राप्त। "

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