अनेक शरत् - ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित प्रख्यात ओड़िया कवि और चिन्तक-विचारक डॉ. सीताकान्त महापात्र के यात्रा वृत्तान्त 'अनेक शरत्' को हिन्दी पाठक-समाज के लिए एक प्रीतिकर उपलब्धि कहा-माना जा सकता है। 'स्ट्रूगा कविता समारोह' में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए सीताकान्त जी ने युगोस्लाविया, रोमानिया और रूस की यात्रा के दौरान छोटी-सी अवधि में वहाँ के जीवन, समाज और संस्कृति को भरपूर कवि मन से देखा, जिया और उसे आत्मीय रूप से अभिव्यक्त किया है। एक समर्थ कवि के इस यात्रा वृत्तान्त को समूची कविता-यात्रा या रागात्मक सांस्कृतिक यात्रा कहा जाये तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए। यानी एक ऐसा यात्रा-वृत्तान्त जो अनन्त दूरियों के बीच मनुष्य और मनुष्य को एक करने की सार्थक कोशिश करता है; जिसमें गाँव, शहर, जंगल, पहाड़ के सुख-दुःख बोलते हैं और नदी, झरने, झील, सागर के शब्द चुपचाप अपने रहस्य खोलते हैं।—और कुल मिलाकर इन्द्रनील शारदीय आकाश पर बजती हुई इन सब की एक समवेत अनुगूंज है। शायद उसी अनुगूंज से साक्षात्कार कराती है सीताकान्त महापात्र की यह कृति ‘अनेक शरत्’!
सीताकान्त महापात्र
जन्म : सन् 1937, ओडिशा में। उत्कल, इलाहाबाद तथा कैम्ब्रिज विश्वविद्यालयों में शिक्षा।
1975-77 में होमी भाभा फ़ेलोशिप पाकर सामाजिक नेतृत्व विज्ञान में डॉक्टरेट की उपाधि। 1961 से भारतीय प्रशासनिक सेवा से सम्बद्ध रहे। ओडिशा सरकार तथा केन्द्र सरकार में विभिन्न पदों पर कार्यरत रहे तो यूनेस्को में भी काम किया।
प्रमुख कृतियाँ : अब तक ओड़िया भाषा में सत्रह काव्य-संग्रह तथा आलोचनात्मक निबन्धों के छह संग्रह प्रकाशित। अधिकांश रचनाएँ अन्य भारतीय भाषाओं के अलावा अंग्रेज़ी, स्पेनिश, फ़्रेंच, जर्मन, रूसी, स्वीडिश आदि विदेशी भाषाओं में अनूदित व प्रकाशित।
राष्ट्रपति द्वारा ‘पद्मभूषण’ एवं ‘पद्मविभूषण’ से अलंकृत। 1993 के ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’ के अलावा ‘कबीर सम्मान’, ‘केन्द्रीय साहित्य अकादेमी पुरस्कार’, ‘सारला पुरस्कार’, ‘कुमारन आशन पोयट्री पुरस्कार’, ‘ओडिशा साहित्य अकादेमी पुरस्कार’, ‘सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार’, ‘विषुव सम्मान’ सहित अनेक पुरस्कारों से सम्मानित।