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Vani Prakashan
Anguliyon Ka Orchestra-3
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Anguliyon Ka Orchestra-3
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अँगुलियों का ऑर्केस्ट्रा - (3) -
20वीं शताब्दी के आरम्भ में जापान में बधिर शिक्षा में मौखिक प्रशिक्षण पर महत्व दिया जाने लगा और सांकेतिक भाषा नकारी जाने लगी। ऐसी पूर्व प्राचीन मान्यता थी कि बधिर अपूर्ण और असामान्य व्यक्ति है और जो बोल सकता है वही पूर्ण और सामान्य व्यक्ति है। इसी प्रकार मानवीयता की उपेक्षा की जा रही थी। इस पुस्तक में नायक ताकाहाशि द्वारा यह सन्देश दिया गया है कि सांकेतिक भाषा ही बधिरों के लिए सहज भाषा पद्धति है। यद्यपि बधिर मुँह से नहीं बोल सकते, तथापि वे कतई अपूर्ण नहीं है। बधिरों से सांकेतिक भाषा को छीन लेने का अधिकार किसी के पास नहीं है और यह किसी भी स्थिति में भी स्वीकार्य नहीं है। अध्यापक ताकाहाशि बधिर बच्चों की शिक्षा व मानवीयता की रक्षा के लिए अपना जीवन समर्पित कर स्कूल, कस्बे और समाज को बदलने का प्रयास करते हैं ।
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Anguliyon Ka Orchestra-3
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Publication | Vani Prakashan |
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