प्रसिद्ध कथाकार भीष्म साहनी ने सिर्फ उपन्यास और कहानियाँ ही नहीं लिखी हैं, बल्कि समय-समय पर उन्होंने संस्मरण, आत्मलेख, निबन्ध और आलोचनात्मक लेख भी लिखे हैं। भीष्मजी के ये लेख और भी गहराई से उनके कथाकार व्यक्तित्व को समझने में मदद करते हैं। 'अपनी बात' नाम इस किताब में भीष्मजी के ऐसे ही लेख संकलित हैं निबन्धों का लेखनकाल सन् '47 से वर्तमान तक फैला है। इनमें एक ओर 'गर्दिश के दिन' और 'मैं अपनी नजर में' जैसे आत्मपरक निबन्ध शामिल हैं तो दूसरी ओर ‘राष्ट्रीय एकता और भाषा की समस्या', 'संघर्ष, परिवर्तन और लेखकीय मानसिकता' तथा 'मार्क्सवाद और साहित्य' जैसे वस्तुपरक निबन्ध भी संकलित हैं। प्रेमचन्द और परसाई पर लिखे निबन्धों में व्यापकता है । इसके साथ ही विवादास्पद 'तमस' की शूटिंग से सम्बन्धित भीष्मजी की दिलचस्प डायरी हिन्दी गद्य की एक नयी उपलब्धि है ।
"भीष्म साहनी
जन्म : सन् 1915 रावलपिण्डी में ।
शिक्षा : एम.ए. (अंग्रेजी), पीएच.डी. ।
साहित्यिक गतिविधि : सात वर्ष तक विदेशी भाषा प्रकाशन गृह मास्को से सम्बद्ध रहे। रूसी भाषा पर अधिकार। ताल्स्ताय की कहानियाँ, 'पुनर्जन्म' नामक उपन्यास तथा चगेल ऐतमातोय के लघु उपन्यास 'पहला अध्यापक' आदि लगभग दो दर्जन पुस्तकों का मूल रूसी से अनुवाद किया।
प्रकाशित कृतियाँ : पहला पाठ, भटकती राख, भाग्य रेखा, पटरियाँ और वाङ्चू (कहानी संग्रह); झरोखे, कड़ियाँ, तमस, बसन्ती तथा मय्यादास की माड़ी (उपन्यास); हिन्दी उपन्यास (सम्पादित)।
पुरस्कार - उपाधि : साहित्य अकादमी पुरस्कार, शिरोमणि लेखक सम्मान (पंजाब सरकार), लोटस पुरस्कार (अफ्रो-एशियन राइटर्स एसोसिएशन की ओर से), सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार, पद्म भूषण । निधन : 11 जुलाई, 2003 को नयी दिल्ली में ।
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