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अस्तित्व की अंतर्धारा

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Astitva Ki Antardhara
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सत्य का दर्शन बीज तत्त्व में सिमटा है, जिसका अनन्त नाम, असीम भाव, अज्ञात संसार, अपरिमित ज्ञान और अविनाशी स्वरूप है। उस बीज के मिटने-जानने में परमात्मा का स्वाद है। उस जीवन और मिटने के बीच के अन्तराल के लिए हमें जगना होगा।
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डॉ. मयंक मुरारी (Dr. Mayank Murari)

"डॉ. मयंक मुरारी आधुनिक समय में भारतीय समाज तथा जीवन, इतिहास, परम्परा और दर्शन विषय पर लिखते हैं। अपने 30 सालों के सार्वजनिक जीवन में अख़बारों एवं पत्रिकाओं में अब तक 600 से अधिक आलेख और एक दर्जन किताबें लिख चुके हैं, जिनमें मानववाद एवं राजव्यवस्था, राजनीति एवं प्रशासन, भारत-एक सनातन राष्ट्र, माई-एक जीवनी, झारखण्ड के अनजाने खेल, झारखण्ड की लोक कथाएँ, लोक जीवन (पहचान, परम्परा और प्रतिमान), यात्रा बीच ठहरे क़दम (काव्य-संग्रह), ओ जीवन के शाश्वत साथी, पुरुषोत्तम की पदयात्रा, अच्छाई की खोज, भगवा ध्वज, जंबूद्वीपे भरतखण्डे आदि शामिल हैं। उन्होंने ग्रामीण विकास, प्रबन्धन, जनसम्पर्क एवं पत्रकारिता के अलावा राजनीति शास्त्र में उच्च शिक्षा, स्नातक एवं स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त करने के बाद विकास के वैकल्पिक माध्यम पर पीएच.डी. किया। उनके कार्यों एवं योगदान के लिए 'विद्यावाचस्पति', 'सिद्धनाथ कुमार स्मृति सम्मान', ‘झारखण्ड रत्न’, ‘जयशंकर प्रसाद स्मृति सम्मान', 'साहित्य अकादमी रामदयाल मुंडा कथेतर सम्मान', लायंस क्लब ऑफ़ राँची की ओर से समाज सेवा के लिए अन्य संस्थाओं के द्वारा कई सम्मान एवं पुरस्कार दिये गये हैं। व्यक्तित्व विकास, प्रेरणा और संवाद के अलावा भारतीय परम्परा एवं जीवन पर विभिन्न विद्यालय एवं संस्थान में व्याख्यान देते हैं। इसके अलावा उनका आध्यात्मिक और भारतीय दर्शन पर आधारित आलेख देश के सभी प्रतिष्ठित समाचार पत्रों में नियमित रूप से प्रकाशित होता है। पता : राँची, झारखण्ड "

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