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अस्तित्ववाद से गांधीवाद तक

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अस्तित्ववाद से गाँधीवाद तक - 
इस समय सारे विश्व में विचारों की शून्यता अनुभव की जा रही है। गत दो-तीन शताब्दियों में पश्चिमी समाज को छोड़कर बाकी सभी समाजों के विचारों का क्रम रुका था। अब पश्चिमी समाज में भी यह क्रम रुक गया है। पश्चिमी सभ्यता, जिसकी पूँजीवाद और साम्यवाद दो प्रमुख धाराएँ थीं, शक्तिशाली की उत्तरजीविका, प्रकृति के विनाश से जुड़ी विकास की कल्पना, उपभोगवाद और हथियारी बल की मूल अवधारणाओं पर टिकी थी। इन सारी अवधारणाओं पर प्रश्नचिह्न लग गया है। अतः वहाँ इतिहास के अन्त तथा विचारों के अन्त की बातें होने लगी हैं। भारत में भी अधिकतर इन्हीं विचारधाराओं को अपनाया गया अतः यहाँ भी विचारों का संकट उपस्थित हुआ है।
19वीं और 20वीं सदी में पश्चिमी सभ्यता को चुनौती देनेवाले अस्तित्ववादी दार्शनिकों तथा गाँधी-लोहिया के विचारों के परिप्रेक्ष्य में उभरती हुई नयी मानव सभ्यता के प्रमुख बिन्दुओं को तलाशने का प्रयास है यह पुस्तक।

अन्तिम आवरण पृष्ठ
कोई भी रचना विद्यार्थियों द्वारा परीक्षा की मजबूरी से पढ़ी जाये या चर्चित पुरस्कृत का लेबल लगाने के बाद कुतूहल की तृप्ति के लिए पढ़ी जाए, यह उसके रचनाकार के लिए विशेष प्रसन्नता की बात नहीं हो सकती। रचनाकार का उद्देश्य इससे सिद्ध नहीं होता है। उसका उद्देश्य होता है कि जो प्रक्रिया उसने शुरू की है उसे पाठक सही परिणति तक ले जाए और यह काम पाठक तभी कर सकता है, जब वह स्वतन्त्र मन से पढ़े, हर तरह के दबावों, प्रलोभनों और पूर्वाग्रहों से मुक्त रहकर अर्थात् जब पठन स्वयं में एक सर्जनात्मक क्रिया बने। यदि ऐसा एक भी पाठक लेखक को मिल जाता है तो उसकी रचना अपनी सार्थकता प्राप्त करती है। रचनाकार की यह उपलब्धि ही उसका असली सुख है ...

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मस्तराम कपूर (Mastram Kapoor)

"डॉ. मस्तराम कपूर - जन्म : 22 दिसम्बर, 1926, सकड़ी (हिमाचल प्रदेश) प्रमुख रचनाएँ - उपन्यास : विपथगामी, रास्ता बंद काम चालू, नाक का डॉक्टर, एक सदी बाँझ (उपन्यास-त्रयी) कहानी-संग्रह : एक अदद औरत, ग्यारह पत्ते, ब्रीफ़केस। नाटक : पत्नी ऑन ट्रॉयल, साँप आदमी नहीं होता। कविता : कूड़ेदान से साभार निबन्ध : हम सब गुनहगार समसामयिक प्रतिक्रियाएँ पं. चन्द्रधर शर्मा 'गुलेरी', साहित्यकार का संकट, राष्ट्रीय एकता का संकट और साम्प्रदायिक शाक्तियाँ, मंडल रिपोर्ट : वर्णव्यवस्था से समाजवादी व्यवस्था की ओर, साम्यवादी विश्व की विघटन और समाजवाद का भविष्य आदि। बाल साहित्य : किशोर जीवन की कहानियाँ (दो भाग), निर्भयता का वरदान, दंड का पुरस्कार, आजा होजा, सहेली, नीरू और हीरू, सपेरे की लड़की, भूतनाथ, चोर की तलाश, ऐंगा-बेंगा, बेजुबान साथी, सुनहरा मेमना, एक थी चिड़िया (कहानी उपन्यास), स्पर्धा, बच्चों के एकांकी, बच्चों के नाटक, पाँच बाल एकांकी (नाटक)। अनुवाद : ग्यारह तुर्की कहानियाँ, आन्ध्र प्रदेश : लोक-संस्कृति और साहित्य, डॉ. आम्बेडकर : एक चिन्तन, सरदार पटेल : व्यवस्थित राज्य के निर्माता, एशिया के बाल नाटक, स्वामी और उसके दोस्त, अर्थशास्त्र का परिचय आदि। "

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