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Bharatiya Jnanpith

आत्मजयी

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आत्मजयी  - आत्मजयी ने हिन्दी साहित्य के मानक खंड-काव्य के रूप में अपनी एक ख़ास जगह बनायी है और यह अखिल भारतीय स्तर पर प्रशंसित एक असाधारण कृति है। आत्मजयी का मूल कथासूत्र कठोपनिषद् में नचिकेता के प्रसंग पर आधारित है। इस आख्यान के पुराकथात्मक पक्ष को कवि ने आज के मनुष्य की जटिल मनःस्थितियों को एक बेहतर अभिव्यक्ति देने का अपूर्व साधन बनाया है। आत्मजयी मूलतः मनुष्य की रचनात्मक सामर्थ्य में आस्था की पुनःप्राप्ति की कहानी है। इसमें आधुनिक मनुष्य की जटिल नियति से एक गहरा काव्यात्मक साक्षात्कार है—कवि ने जिन समस्याओं और प्रश्नों से मुठभेड़ की है उनका सार्वत्रिक महत्त्व है।

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