
Urmila Singh
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उर्मिला सिंह - पुस्तक पूर्ण होकर आपके समक्ष है। इसके लिए सर्वप्रथम मैं माँ बेल्हा देवी को हृदय से प्रणाम करती हूँ जिनके आशीर्वाद से यह पुस्तक पूर्ण हो कर आपके हाथ में है। मैं अपने स्वर्गीय माता-पिता श्रीमती प्यारी सिंह व श्री धर्मराज सिंह को प्रणाम करती हूँ। आज वे जहाँ भी हैं अपने आशीर्वाद से मुझे अभिसिंचित कर रहे होंगे। माता जी के बताये हुए व बनाये हुए बहुत से व्यंजन मेरी रसोई का हिस्सा तो समय-समय पर बनते ही हैं, इस पुस्तक में भी उन व्यंजनों को यथास्थान संजोया गया है। मैं अपने पति श्री राजेन्द्र प्रताप सिंह ‘मोती सिंह' (कैबिनेट मन्त्री, ग्राम विकास एवं समग्र ग्राम विकास, उत्तर प्रदेश शासन) के प्रति पुस्तक लेखन में सहयोग व सतत प्रेरणा देने के लिए आभारी हूँ। आऋत् (12 वर्ष) ने इस पुस्तक को श्लोक, सारणी व आयुर्वेद से जोड़ने का सुझाव दिया। इतनी अल्पायु में अत्यन्त सराहनीय सुझाव के लिए मैं आऋत् को आशीर्वाद देती हूँ तथा उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करती हूँ। आऋत् ने पुस्तक के शोध सहायक की भूमिका का भी बखूबी निर्वहन किया है।