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अयोध्या तथा अन्य कविताएँ

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अयोध्या तथा अन्य कविताएँ' कविता संग्रह से युवा यतीन्द्र मिश्र ज्यादा व्यापक जमीन पर अपने विचारों के साथ खड़े नजर आते हैं। एक ऐसे शहर में रहते हुए, जिसका अपना अतीत और आख्यान काफी समृद्ध रहा है, वहाँ उन श्रेष्ठ अनुगूँजों के अतिरिक्त भी नये तरीकों से सामाजिक राजनीतिक आवाजों ने अपनी आवाजाही पिछले दशकों में तेज की हैं, यतीन्द्र उन ध्वनियों के पीछे छिपे आशयों का सफलतापूर्वक मर्म उद्घाटन कर पाये हैं। एक कवि से जिस विचार और दृष्टि की माँग साहित्य को रहती आयी है, उसमें यह बात सबसे ज्यादा महत्व रखती हैं कि उसने अपने समय की आहटों को उस समाज के सन्दर्भ में किस तरह पढ़ा है।

यह देखना सुखद है कि यतीन्द्र की कविताएँ, अपने व्यक्तिगत समाज व पड़ोस के जीवन को गहरी अन्तर्दृष्टि से विश्लेषित करती हैं। वे अयोध्या के उस आम शहरी का चेहरा बनकर उभरते हैं, जो वहाँ की गलियों और रामपियारी को उसी शिद्दत से जानता है, जिस तरह वहाँ पर हो रहे धार्मिक, राजनीतिक आन्दोलनों को। 'अयोध्या-दो' शीर्षक कविता की कुछ पंक्तियाँ ध्यान देने योग्य हैं।

"अयोध्या में एक और अयोध्या ऊँघती हुई घंटियाँ हैं

यहाँ/अधजगे शंख हैं. अयोध्या के किनारे-किनारे सरयू बहती है और भी बहुत

कुछ बहता है/ अयोध्या के किनारे-किनारे.. यहाँ जब गली आगे मुड़ती है तो वहाँ एक नई गली नहीं

खुलती... यतीन्द्र की अयोध्या श्रृंखला की कविताओं के अलावा भी इस संग्रह में हम ऐसे ढेरों सूत्रों की निशानदेही कर सकते हैं, जहाँ कवि का रिश्ता उसके समाज से होता हुआ घर, आँगन और लोक से गुजरता है तथा इतिहास, परम्परा और स्मृति से बार-बार सार्थक संवाद करता है। फिर चाहे वह 'कविता का रंग' में मीर और मोमिन के बहाने पिता की आत्मीय चर्चा हो, 'कील' में समाज के सबसे निम्नतम व्यक्ति की पीड़ा का स्वर हो अथवा 'झील, पानी, पत्ता और आदमी' में सहमेल की सार्थकता को वाणी देती समाजोन्मुख वैचारिकता, सभी जगह कविता आश्वस्त करती है।यह किसी भी युवा के लिए चुनौती है कि वह रिश्तों पर कविता लिखते वक्त अपनी अभिव्यक्ति को नाटकीय न होने दे। उससे अतीत का स्मरण मात्र भावुकता की सीमा में न होने पाये और वह कविता ज्यादा बड़े अर्थ के साथ समाज की दशा और दिशा को सूचित करे। यतीन्द्र मिश्र सहज ढंग से इस तरह की कविताओं में, जो दादी पर लिखी गयी हैं, यह सारी दिक्कतें बचा ले जाते हैं। यह अलग बात है कि वहाँ यह कविताएँ समाज के हर तबके का प्रतिनिधित्त्व नहीं कर पातीं। मगर इतना जरूर होता है कि वहाँ कवि का व्यक्तिगत प्रेम और साहचर्य इस तरह मुखर होता है कि वह जाना-पहचाना अपने आस-पास के जीवन का स्पन्दन बन जाता है।

'आत्मीयता', 'सम्वेदना' और 'साहचर्य' ऐसे बीज शब्द हैं, जिनसे यतीन्द्र मिश्र की अधिकांश कविताओं को समझने में हमें मदद मिलती है। इन पदों के आन्तरिक विन्यास को कविता के केन्द्र में व्यवस्थित करने में कवि की ज्यादातर कविताएँ शामिल हुई हैं। इनमें प्रमुख रूप से 'कितना मुश्किल है', 'रिक्तता', 'जड़ें', 'इतिहास गढ़ना', 'जाला', 'आदमी की भाषा' जैसी कविताओं को लिया जा सकता है। । इस तथ्य को समझने के लिए एक उदाहरण 'जड़े' कविता से देना काफी होगा-

"जड़ें जमीन के अंदर होती हैं हमेशा / और रोशनी से दूर/ जड़ें आदमी को जड़ नहीं बनाती बल्कि जमीन से जुड़ना सिखाती है।"

कुल मिलाकर यतीन्द्र मिश्र का यह संग्रह समकालीन हिन्दी कविता के परिदृश्य में अपनी निजता, मानवीय संवेदना की प्रभावपूर्ण संप्रेषणीयता और गहरे राजनीतिक प्रसंगों की विडम्बनापूर्ण स्वीकार्यता के चलते महत्त्वपूर्ण बन पड़ा है। भविष्य में उनसे और बड़े आशयों की कविता रचे जाने की सम्भावना के रूप में यह संग्रह सामने आता है। इस संग्रह की ताकत और अतिरिक्त प्रासंगिकता यह भी है कि यहाँ कवि राजनीति के दलदल में फँसी अयोध्या और वहाँ के जन-जीवन को देखने-परखने का नया पाठ मुहैया कराता है। जब राजनीति के सारे औजार बेमानी हुए जान पड़ते हैं, उस समय कविता पर ही हमारा समय सबसे ज्यादा भरोसा कर सकता है।

बोधिसत्त्व

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Ayodhya Tatha Anya Kavitayey
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यतीन्द्र मिश्र (Yatindra Mishra)

यतीन्द्र मिश्र हिन्दी कवि, सम्पादक और संगीत अध्येता। तीन कविता संग्रह, शास्त्रीय गायिका गिरिजा देवी, नृत्यांगना सोनल मानसिंह एवं शहनाई उस्ताद बिस्मिल्ला ख़ाँ पर हिन्दी में प्रामाणिक पुस्तकें प्रकाशित। वरिष्ठ कवि कुँवर नारायण पर एकाग्र संचयन क्रमश: कुँवर नारायण 'संसार' एवं 'उपस्थिति', अशोक वाजपेयी के गद्य का एक संचयन 'किस भूगोल में किस सपने में' तथा अज्ञेय काव्य से एक चयन 'जितना तुम्हारा सच है' प्रकाशित। साथ ही, फ़िल्म निर्देशक एवं गीतकार गुलज़ार की कविताओं एवं गीतों के चयन क्रमशः 'यार जुलाहे' तथा 'मीलों से दिन' शीर्षक से सम्पादित। 'रज़ा पुरस्कार', 'भारत भूषण अग्रवाल स्मृति पुरस्कार', भारतीय भाषा परिषद का 'युवा पुरस्कार', 'हेमन्त स्मृति पुरस्कार' सहित कई शोधवृत्तियाँ प्राप्त। "

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