Publisher:
Bharatiya Jnanpith

बाबा दौलतराम वर्णी की सोलह रचनाएं

In stock
Only %1 left
SKU
Baba Daulatram Varni Ki Solah Rachanaen
Rating:
0%
As low as ₹224.00 Regular Price ₹280.00
Save 20%

बाबा दौलतराम वर्णी की सोलह रचनाएँ  - 
जैन तीर्थ नैनागिरि के सन्त बाबा दौलतराम वर्णी ने सन् 1902 में छन्दोदय तथा 1904 में इस पुस्तक में प्रकाशित नैनागिरि (रेशिंदिगिरि) पूजन प्रभृति 15 रचनाओं को जन्म दिया है। 116 वर्षों तक लुकी-छिपी इन रचनाओं को अनावृत कर भारतीय ज्ञानपीठ, नयी दिल्ली ने जैन दर्शन तथा संस्कृति को यह अनुपम भेंट प्रदान की है।
हिन्दी के सन्त साहित्यकार और जैन शास्त्रकार बाबाजी द्वारा प्रभावी शब्दों तथा लोकप्रिय और मधुर छन्दों में विरचित इन सभी रचनाओं में भगवान की अर्चना, आराधना और उपासना की गयी है। सभी सोलह रचनाएँ तीर्थंकरों और तीर्थों का गुणगान करती हैं। सोलहकारण भावनाओं की भाँति मोक्ष पथ पर आगे बढ़ने में सहायक हैं। न्यूनतम भोग और अल्पतम उपभोग की शिक्षा प्रदान करती हैं।
श्रम साध्य मौलिक सृजन और मूल रचना-कर्म से ओतप्रोत इन रचनाओं में जैन दर्शन के व्यावहारिक सिद्धान्त दर्पण की भाँति स्पष्ट रूप से प्रतिबिम्बित होते हैं। इन रचनाओं में सर्वत्र अध्यात्मिक वर्णमाला बिखरी हुई है। इस वर्णमाला के स्वर, अक्षर तथा व्यंजन पारस्परिक रूप से मिल-जुलकर शब्द बनते हैं और आध्यात्मिक विकास के पथ पर आगे बढ़ने के लिए प्रेरणा देते हैं तथा वर्तमान आध्यात्मिक संतों को चारित्रिक विकास के महत्वपूर्ण सूत्र प्रदान करते हैं। निश्चित ही वर्णी जी का यह आध्यात्मिक प्रदेय हम सबके लिए सुस्वादु पाथेय है।

ISBN
Baba Daulatram Varni Ki Solah Rachanaen
Publisher:
Bharatiya Jnanpith
More Information
Publication Bharatiya Jnanpith
Write Your Own Review
You're reviewing:बाबा दौलतराम वर्णी की सोलह रचनाएं
Your Rating
कॉपीराइट © 2025 वाणी प्रकाशन पुस्तकें। सर्वाधिकार सुरक्षित।

डिज़ाइन और विकास: Octagon Technologies LLP