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बकुल कथा

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Bakul
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बकुल - 
बकुल, यानि उपन्यास का नाटक। वह ईमानदार, जोशीला, व मेहनती पुलिस अधिकारी है। नायकत्व के गुण उसमें कूट-कूट कर भरे हैं। वह गोपनीय सूचनाओं को एकत्रित कर अपराधियों को रंगे हाथों गिरफ़्तार करता है। आम लोगों के लिए तो वह मसीहा है जबकि खतरनाक अपराधियों, भ्रष्ट राजनेताओं व व्यापारियों के लिए ज़िन्दा दहशत है।
बकुल से पीछा छुड़ाने के लिए माफिया, भ्रष्ट राजनीति व व्यापारी हर ग़लत तरीक़े का इस्तेमाल किया। उन्होंने बकुल को पैसे का प्रलोभन, राजनैतिक दबाव उसका स्थानान्तरण कराने का प्रयत्न किया गया यहाँ तक उसे मार डालने के लिए सुपारी भी दी गयी। 'बकुल' उपन्यास ईमानदार पुलिस अधिकारी और असामाजिक तत्वों के बीच एक जंग की कहानी है।
सत्य घटनाओं पर आधारित इस उपन्यास में लेखक ने अपने वर्षों के पुलिस सेवा के अनुभवों को समाविष्ट किया है।

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डॉ. नज़रुल इस्लाम (Dr. Nazrul Islam)

डॉ. नजरूल इस्लाम - डॉ. नजरूल इस्लाम का जन्म 03 फ़रवरी, 1954 को बंसतपुर (पं. बंगाल) में हुआ था। शिक्षा क्षेत्र में उन्होंने अनेक डिग्रियाँ जैसे बी.एससी, एम.ए. और पीएच.डी. प्राप्त की है। 1981 बैच के आई.पी.एस. अधिकारी डॉ. नज़रूल इस्लाम ने 55 पुस्तकें लिखी है। चर्चित पुस्तकों में 'संयुक्त राष्ट्र का सुधार इस्लाम', 9/11 और वैश्विक आतंकवाद, भूमिपुत्र आदि है। उनकी पुस्तकों का अनेक भाषाओं में अनुवाद हुआ है। है डॉ. नज़रूल इस्लाम को साहित्य और पुलिस सेवा के लिए अनेक पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। भारतीय पुलिस पदक, बंगाली हिन्दू मुस्लिम सम्बन्धों पर अनंदा पुरस्कार, आलोचनात्मक साहित्य लेखन के लिए शरत पुरस्कार, निखिल भारत बंग साहित्य सम्मेलन पुरस्कार आदि। डॉ. नज़रूल इस्लाम बसंतपुर शिक्षा समिति के संस्थापक अध्यक्षक हैं उन्होंने इस समिति के माध्यम से अनेक शैक्षिक संस्थाओं की स्थापना कर शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य किया है। वर्तमान में वे पुलिस महानिरीक्षक के पद पर पश्चिम बंगाल में कार्यरत हैं।

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