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बंद कमरे का कोरस

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Band Kamre Ka Koras
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बंद कमरे का कोरस - 
 'बंद कमरे का कोरस' विभा रानी के अपने अन्दाज़ और सोच का आइना ही नहीं, उनके अंदर छिपी हुई उस स्त्री का हमराज भी है जो अपने सुख-दुख की परछाइयाँ अपनी ही जैसी बहुत-सी दूसरी नारियों में खोजती। रहती हैं। उनका दर्द अकेला नहीं है। यह कई रिश्तों में जीता है। पुरुष प्रधान समाज में औरत होना, इस 'होने' को ढोते रहने के सामाजिक दायित्व को निभाते रहना... इन कहानियों का इतिहास है। लेकिन जो बात इनमें चौंकाती है वह समय, स्थिति और भाग्य के पारम्परिक त्रिकोण की नकारने का साहस है। यही उनका विद्रोह है। यही तेवर इन कहानियों के बीते हुए कल को गुज़रते हुए आज से जोड़ते हैं।
 'जो है' उससे नाराज़गी और 'जो नहीं है' उसकी कमी का शदीद अहसास विभा रानी की क़लम का दायरा है और इसी दायरे में नये-नये दायरों की खोज ने कलाकार और शब्दों के रिश्ते और उनकी तहज़ीब को हर जगह सुरक्षित भी रखा है। वह न कहीं दार्शनिक का रूप धारती हैं और न ही नेता की तरह भाषण बघारती हैं। वह हर बात ख़ुद ही नहीं कह देती, पाठक से भी बीच-बीच में अपना कुछ जोड़ने का आग्रह करती हैं। इस फ़नकाराना रवैये की वजह से उनकी कहानियाँ नयी नवेली दुल्हन के नक़ाब की तरह धीमे-धीमे खुलती हैं, एक साथ बेहिज़ाब नहीं हो जाती. ...और काग़ज़ पर ख़त्म होने के बाद भी, पढ़नेवाले के ज़ेहन में बराबर चलती रहती हैं।
 
 विभा रानी ने इन कहानियों को कविता की तरह नपे-तुले संकेतों और इशारों में बुना है।

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Band Kamre Ka Koras
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Vani Prakashan
Author: Vibha Rani
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विभा रानी (Vibha Rani)

विभा रानी - जन्म: 1959। शिक्षा: एम.ए. (हिन्दी), बी.एड.। साहित्य: बंद कमरे का कोरस (हिन्दी कहानी संग्रह), 'मिथिला की लोककथाएँ', 'कन्यादान' (मैथिली उपन्यास : हरिमोहन झा), 'राजा पोखरे में कितनी मछलियाँ' (मैथिली उपन्यास प्रभास कुमार चौधरी) के हिन्दी अनुवाद, 'खोह स निकसइत' (मैथिली कथा संग्रह) प्रकाशित, पटाक्षेप (मैथिली उपन्यास लिली रे), गोनू झा के क़िस्से प्रकाश्य, विभिन्न विज्ञापन एजेंसियों व फ़िल्म्स डिविज़न के लिए स्क्रिप्ट लेखन, इधर नाटक लेखन भी, 'दूसरा आदमी, दूसरी औरत' नाटक 'द एक्सपेरिमेंटल थिएटर फाउंडेशन' मुम्बई द्वारा मंचित और अत्यन्त चर्चित, कोसी के आर-पार, आज की कविता मुम्बई-1, बस, अब और नहीं, में कहानियाँ, कविताएँ, संकलित। सम्मान: कथा अवार्ड 1998, मैथिली कहानी 'रहथु साक्षी छठ घाट' के लिएI डॉ. माहेश्वरी सिंह 'महेश' ग्रन्थ पुरस्कार मैथिली कथा संग्रह 'खोह स निकसइत' के लिए। घनश्याम दास सर्राफ साहित्य सम्मान हिन्दी कहानी संग्रह 'बंद कमरे का कोरस' के लिए। "

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