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बींसवी सदी का हिन्दी साहित्य

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"बीसवीं सदी का हिन्दी साहित्य - बीसवीं सदी अनेक दृष्टियों से उल्लेखनीय और महत्त्वपूर्ण रही है। इस सदी में जहाँ भारत में स्वाधीनता संघर्ष और स्वाधीनता प्राप्ति जैसी महान घटनाएँ हुई, वहीं संसार के इतिहास में ऐसी अनेक हलचले हुई जो आगे भी मानव-नियति को प्रभावित करेंगी। इस सदी में दो विश्वयुद्ध हुए, शीतयुद्ध के बादल मँडराये, विश्व शान्ति की चिन्ता गहरी हुई। विज्ञान और तकनीकी इसी सदी में चरम सीमा पर पहुँची, भूमण्डलीकरण, आर्थिक उदारीकरण और सूचना क्रान्ति की आँधी आयी। आधुनिकता, उत्तर-आधुनिकता और उत्तर संरचनावाद जैसे बौद्धिक विमर्श हुए। विश्व की और देश की इन तमाम घटनाओं, विमर्शों, विचारधाराओं का असर हिन्दी साहित्य पर पड़ा। इस दौर में यदि अनेक रचना-आन्दोलन जनमे, विकसित हुए और परिणति पर पहुँचे तो ऐसे भी दौर आये जिनमें कुछ आन्दोलन अकाल मृत्यु को प्राप्त हुए। इन्हीं सब प्रश्नों को लेकर प्रस्तुत पुस्तक में अधिकारी विद्वानों द्वारा विभिन्न विधाओं के माध्यम से बीसवीं सदी के हिन्दी साहित्य की अत्यन्त सारगर्भित विवेचना की गयी है। आशा है, अपने समय और साहित्य की हलचलों से परिचित होने में यह पुस्तक आम पाठकों, विद्यार्थियों, शोधछात्रों और प्रबुद्धजनों की सहायता करेगी। इस महत्त्वपूर्ण सुसम्पादित पुस्तक को प्रकाशित करते हुए भारतीय ज्ञानपीठ को प्रसन्नता है। "
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9788126340323
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Bharatiya Jnanpith
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विश्वनाथ प्रसाद तिवारी (Vishwanath Prasad Tiwari)

"विश्वनाथ प्रसाद तिवारी - जन्म: 20 जून, 1940 को रायपुर भैंसही-भेड़िहारी, कुशीनगर (उत्तर प्रदेश) में। गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के आचार्य एवं अध्यक्ष पद से वर्ष 2001 में सेवानिवृत्त। सम्प्रति साहित्य अकादेमी, नयी दिल्ली के उपाध्यक्ष। रचना और आलोचना की विशिष्ट पत्रिका 'दस्तावेज़' का वर्ष 1978 से निरन्तर सम्पादन। कविता, आलोचना, संस्मरण, यात्रा आदि की लगभग पच्चीस पुस्तकें प्रकाशित। इनके अतिरिक्त लगभग एक दर्जन पुस्तकों का सम्पादन। प्रमुख रचनाओं के उर्दू, गुजराती, पंजाबी, मलयालम,बांग्ला, तेलुगु, कन्नड़, नेपाली, अंग्रेज़ी, रूसी आदि अनेक देशी-विदेशी भाषाओं में अनुवाद। पुरस्कार/सम्मान: काव्य संग्रह 'फिर भी कुछ रह जायेगा' को के. के. बिड़ला फ़ाउंडेशन का व्यास सम्मान (2010)। उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान का 'हिन्दी गौरव' और 'साहित्य भूषण' सम्मान। 'दस्तावेज़' पत्रिका को इसी संस्थान द्वारा दो बार 'सरस्वती सम्मान'। उत्तर प्रदेश सरकार का 'शिक्षक श्री' सम्मान। इंगलैंड, मॉरिशस, रूस, अमेरिका, चीन, कनाडा, नीदरलैंड, जर्मनी, फ्रांस, लक्ज़मबर्ग, बेल्जियम, थाइलैंड और नेपाल की साहित्यिक यात्राएँ। "

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