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Bhaktkavi Surdas

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भक्तकवि सूरदास - 
सूरदास का अष्टछाप के कवियों में सर्वप्रथम स्थान है। वे कृष्ण भक्ति शाखा के प्रतिनिधि एवं श्रेष्ठ कवि हैं। महाप्रभु वल्लभाचार्य ने उन्हें पुष्टिमार्ग में दीक्षित किया था। सूरदास ने कृष्ण की बाल लीलाओं का जो वर्णन किया है वह बेजोड़ है। न देख पाने के बावजूद भी उनके काव्य में वर्णित कृष्ण की लीलाओं और प्रकृति का सजीव वर्णन पाठकों को अचम्भित कर देता है।
लेखक ने बड़े मनोयोग से इस पुस्तक में सूरदास की जीवन कथा लिखी है। पुस्तक में उनकी रचनाओं का सहज व सरल शब्दों में विश्लेषण तो प्रस्तुत किया ही है, साथ ही उनके चुनिन्दा पदों को व्याख्या सहित संग्रहित भी किया है।
पुस्तक में सूरदास के चर्चित और बहुपठित पदों को पढ़ना पाठकों को अवश्य भायेगा। इस पुस्तक का स्वागत किया जाना चाहिए।

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Bhaktkavi Surdas
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Bharatiya Jnanpith
Author: Maheshwar
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Publication Bharatiya Jnanpith
महेश्वर (Maheshwar)

महेश्वर

जन्म : 15 जून, 1930, गाँव इटार, गोरखपुर (उ.प्र.)।

शिक्षा : स्नातकोत्तर।

प्रकाशन : डॉ. माहेश्वर की कहानियाँ—‘स्पर्श’, ‘मास्टर सेवाराम का सपना’, ‘डी.पी. सिंह की डिस्पेंसरी’ और ‘हँसनेवाली औरत’ (कहानी-संग्रह); ‘तलघर’ (उपन्यास); ‘हिन्दी बांग्ला’ (आलोचना)। सम्पादन : ‘शुरुआत’ (कविता-संग्रह)।

एक अनुवादक के रूप में डॉ. माहेश्वर का योगदान उल्लेखनीय रहा है। बांग्ला से उन्होंने रवीन्द्रनाथ टैगोर, महाश्वेता देवी, समरेस बसु और विमल मित्र आदि तथा अंग्रेज़ी से प्लेखानोव, चेख़व व अन्य महत्त्वपूर्ण लेखकों की कई कालजयी कृतियों को हिन्दी में रूपान्तरित किया।

निधन : 4 अप्रैल, 2000।

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