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Bharat Kahan Ja Raha Hai
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भारत कहाँ जा रहा है -
सर्वधर्म समभाव भारत की संस्कृति का अभिन्न अंग है। कई शताब्दियों से हम उसे अपनाये हुए हैं। जो हमारे उदात्त व्यक्तित्व और सशक्त चरित्र का द्योतक है। आज भौतिकतावादी परिवेश के चलते अनेक विचार धाराएँ युवापीढ़ी की ही नहीं अपितु हर उम्र के नर-नारियों को गुमराह कर रही हैं। ऐसे नाज़ुक समय में मानवता के अस्तित्व हेतु प्रेम, श्रद्धा, विश्वास, करुणा, सत्य-अहिंसा की भावना की परम आवश्यकता है। आज दिन-दहाड़े पैसे की हवस में इन्सान शैतान वहशी दरिन्दा बनता जा रहा है। आज हमें गाँधी जी की भावनाओं में निहित स्वर को समझना-समझाना होगा।
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Bharat Kahan Ja Raha Hai
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