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भारत के प्रधानमन्त्री

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भारत के प्रधानमन्त्री - 
भारतीय लोकतन्त्र में प्रधानमन्त्री का पद संवैधानिक रूप से सबसे ज़्यादा उत्तरदायित्व का पद है। स्वतन्त्र भारत में अब तक पन्द्रह प्रधानमन्त्री हुए हैं। कार्यकाल की दृष्टि से सबसे लम्बे समय तक देश के प्रथम प्रधानमन्त्री पं. जवाहरलाल नेहरू इस पद पर आसीन रहे।
लालबहादुर शास्त्री, इन्दिरा गाँधी, राजीव गाँधी, नरसिम्हा राव, अटलबिहारी वाजपेयी, मनमोहन सिंह और नरेन्द्र मोदी जैसे प्रधानमन्त्रियों ने अपने कार्यकाल में देश को नयी दिशा देने का प्रयास किया है। आज़ादी के बाद देश को विकास की राह में ले जाने का श्रेय हमारे पूर्व प्रधानमन्त्रियों की दूरदृष्टि को ही जाता है। जहाँ इन प्रधानमन्त्रियों ने समय-समय पर अपनी नीतियों से समाज को प्रभावित किया वहीं देश में संचार, रोज़गार और विदेशी पूँजी निवेश के साथ-साथ ग्रामीण विकास, बच्चों एवं महिलाओं के लिए विकास योजनाओं को भी मूर्त रूप दिया।
आजतक जितने भी प्रधानमन्त्री मिले उन्होंने धर्म और जाति के संकीर्ण दायरे से उठकर राष्ट्र के विकास एवं इसकी गरिमा के लिए अपने ज्ञान और क्षमताओं का पूरी ईमानदारी एवं निष्ठा के साथ प्रयोग किया है।
इस पुस्तक में लेखिका ने देश के प्रथम प्रधानमन्त्री पं. जवाहरलाल नेहरू से लेकर वर्तमान प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी तक के जीवन कथा को बहुत ही सहज सरल शब्दों में प्रस्तुत किया है। आशा है सामान्य पाठकों के साथ विद्याथियों के लिए भी यह अवश्य उपयोगी होगी।

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9789357757010
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Bharatiya Jnanpith
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रेखा श्रीवास्तव (Rekha Shrivastava)

"रेखा श्रीवास्तव - पूर्वी दिल्ली के एक साधारण परिवार में जन्म व प्रारम्भिक शिक्षा । जामिया मिल्लिया इस्लामिया, पांडिचेरी यूनिवर्सिटी से क्रमशः स्नातक व एम.ए.। महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय, रोहतक से बी.एड. । दिल्ली विश्वविद्यालय से सिन्धी भाषा-साहित्य और जेएनयू से उर्दू भाषा का अध्ययन । अनुवाद, जनसंचार व पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा । मानव संसाधन विकास मन्त्रालय से कम्प्यूटर विज्ञान में डिप्लोमा व डोएक सोसाइटी से 'ओ' लेवल प्रमाण-पत्र । ज्ञानोदय, गगनांचल, लोकायत, संवेद, साहित्य अमृत, सबलोग, शोध समवाय, अनन्तर, नेशनल दुनिया, डेली न्यूज़, हिन्दुस्तान सहित देश की प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में अनुवाद व आलेख प्रकाशित । विश्व हिन्दी सम्मेलन, जोहान्सबर्ग की पुस्तक 'भाषाई अस्मिता और हिन्दी का वैश्विक सन्दर्भ', 'रामधारी सिंह दिनकर : समर शेष है' और 'सरहद' पुस्तक में आलेख व शोधपत्र शामिल। बच्चों के लिए लिखी कहानियों का संग्रह पॉली आन्टी की बगिया प्रकाशित । लम्बे समय तक दिल्ली के एक स्कूल में शिक्षण कार्य। सम्प्रति अनुवाद और स्वतन्त्र लेखन के साथ विदेशी बच्चों के हिन्दी भाषा शिक्षण में संलग्न । सम्पर्क : rekhaashrivastava@gmail.com"

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