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Vani Prakashan

भूमिका

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अमृता भारती, मेरे विचार में, शायद आधुनिक हिन्दी कविता के पटल पर सबसे अकेला हस्ताक्षर हैं। अकेला और अनूठा। बहत वर्ष पहले जब उनकी कविताओं को पढ़ने का संयोग मिला था, तो गहरी विचलन की अनुभूति हुई थी। बिम्बों का इतना विचित्र संयोजन पहले किसी हिन्दी कविता में नहीं देखा था। यहाँ ऐन्द्रिक मांसलता और अस्तित्वगत विकलता का अद्भुत मिश्रण था। आध्यात्मिक सुर्रियलिज़्म ? यदि ऐसी कोई चीज़ है, तो ये दो शब्द अमृता भारती के काव्य-संसार को सबसे सशक्त रूप से अभिव्यक्त करते हैं। कविता में आत्मबोध की प्राप्ति शायद एक 'असाधारण जीवट प्रयास लिए होती है; अमृता ने उस 'असाधारण' को जिस कुशलता से अपनी नयी कविताओं में साधा है, वहाँ एक साधक और कवि के बीच का अन्तर मिट जाता है। आज की हिन्दी कविता में यह एक ऐसा अप्रत्याशित मोड़ है, जिसे विलक्षण ही कहा जा सकता है। - निर्मल वर्मा

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9789389012620
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अमृता भारती (Amrita Bharti )

अमृता भारती जन्म : 16 फ़रवरी 1939, नजीबाबाद (उ.प्र.)। शिक्षा : बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से संस्कृत में एम.ए., पीएच.डी.। कुछ समय के लिए मुम्बई एवं दिल्ली में प्राध्यापन। प्रकाशित कृतियाँ : कविता-संग्रह : मैं तट पर हूँ (1971), आज या कल या सौ बरस बाद (1975), मिट्टी पर साथ-साथ (1976), सन्नाटे में दूर तक (1992), मन रुक गया वहाँ (2000), आदमी के अरण्य में (2006), जीवन को मैंने पहना ही नहीं (2012) ।। गद्य संकलन : प्रसंगत : (1995)। शोध ग्रन्थ : भवभूति (2009), आदि ऊर्जा प्राण (2002), मनुष्य में प्राण के आयाम (2008), सृष्टि एवं प्राण-तत्त्व (2009), नाड़ी-तन्त्र एवं प्राण (2012)। पुराण-सार : हरिवंश गाथा, आदिनाथ गाथा। नाटक : श्री अरविन्द कृत 'मुक्तिदाता परसीयस' का अनुवाद एवं भारतीय तथा पाश्चात्य कलादृष्टि से विशद विवेचन। 'श्री अरविन्द की काव्य रचनाएँ' पुस्तक 'नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया' से शीघ्र प्रकाश्य। अनेक कविताओं का अंग्रेजी अनुवाद। लन्दन विश्वविद्यालय में कविताओं का पठन-पाठन। कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में एम.फिल. के लिए कविताओं पर। प्रबन्ध प्रस्तुत। ''साहित्यभूषण' एवं 'हिन्दीसेवी सम्मान' से पुरस्कृत। सम्प्रति : पुदुचेरी में निवास।

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