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बोलनेवाली औरत

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ममता कालिया के रचना लोक में दो तरह की छवियाँ प्रमुख हैं। एक में हमारे भारतीय समाज के मध्यवर्ग की स्त्रियाँ और उनका दुःख है । दूसरे में सामान्य जीवनानुभव हैं।

ममता कालिया महिला त्रासदी के स्थूल रूपों को अभिव्यक्ति का माध्यम नहीं बनातीं। जरूरत पड़ने पर वह त्रासदी की कुछ परंपरागत स्थितियों को शामिल करती हैं किन्तु ज्यादातर वह कठिन मगर बेहतर प्रणाली उपयोग में लाती हैं। उनकी दिलचस्पी सूक्ष्म स्तरों और गहरे प्रभावों-प्रतिक्रियाओं को उद्घाटित करने में दिखती है ।

ममता कालिया ने इन कहानियों को महिलावादी क्रोधी भंगिमा से नहीं रचा है, न ही इनमें औरतों के प्रति अबोध आकुलता है। ये गुस्से और भावुकता से पृथक् निर्भय और निस्संग तरीके से यथार्थ को हाजिर करती हैं । वस्तुतः उनकी कहानियाँ नारीवादी न होकर नारी के यथार्थ की रचनाएँ हैं।

-अखिलेश

 

कहानी 'खिड़की' पढ़ी। मुझे आपकी अब तक की तमाम कहानियों में से यह कहानी ज्यादा अच्छी लगी। इसमें खूबी यह है कि आपकी तमाम सूझ-बूझ और कला-कौशल के बावजूद वह स्वतः स्फूर्त ढंग से संपादित होती चलती कहानी है। लेखक का अनुशासन और फॉर्म को लेकर उसकी अति सजगता अक्सर रचना के स्पोटेनियस तत्त्वों को मार डालती है लेकिन इस कहानी में बौद्धिक सजगता और पात्रों के भीतर का जीवन्त स्फुरण दोनों अंतर्गुम्फित हैं। सचमुच यह एक कमाल हैं।

-मनोज रूपड़ा

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9788170555930
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ममता कालिया (Mamta Kalia)

"ममता कालिया - जन्म: 2 नवम्बर, 1940, मथुरा (उ.प्र.)। शिक्षा : एम. ए. (अंग्रेज़ी साहित्य)। दिल्ली व मुम्बई में अंग्रेज़ी का अध्यापन, इलाहाबाद के एक डिग्री कालेज के प्राचार्य पद से सेवानिवृत्त। पूर्व निदेशक, भारतीय भाषा परिषद, कोलकाता। प्रमुख प्रकाशित कृतियाँ : 'छुटकारा', 'सीट नम्बर छह', 'उसका यौवन', 'प्रतिदिन', 'जाँच अभी जारी है', 'बोलने वाली औरत', 'थियेटर रोड के कौव्वे', 'पच्चीस साल की लड़की' (कहानी-संग्रह); 'बेघर', 'नरक दर नरक', 'दौड़', 'अँधेरे का ताला', 'दुक्खम सुक्खम' (उपन्यास); 'आत्मा अठन्नी का नाम है', 'आप न बदलेंगे' (एकांकी); 'खाँटी घरेलू औरत' (कविता); 'Tribute to Papa & other poems', 'Poems 78' (अंग्रेज़ी कविता) । 9 महत्त्वपूर्ण पुस्तकें सम्पादित। देश-विदेश के कई पाठ्यक्रमों में पुस्तकें सम्मिलित। कई रचनाओं पर नाटक और टेली-फ़िल्म। यूरोप और नॉर्थ अमेरिका की साहित्यिक यात्राएँ। नारी-विमर्श और पत्रकारिता के विभिन्न पक्षों पर प्रामाणिक लेखन। राष्ट्रीय स्तर के साहित्यिक-सांस्कृतिक आयोजनों में सक्रिय सहभागिता। पन्द्रह से अधिक महत्त्वपूर्ण सम्मान\पुरस्कार प्राप्त। "

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