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Bharatiya Jnanpith

बस का टिकट

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9788126340019
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"बस का टिकट - मराठी हास्य-साहित्य के प्रवर्तक कोल्हटकर के साहित्यिक कर्म और मर्म को ग्रहण करते हुए गंगाधर गाडगिल ने उस परम्परा का अनुकरण मात्र नहीं किया है। गाडगिल जी की पसन्दगी, अभिरुचि और मूल्य-प्रवृत्तियों के अवलोकन के बाद स्वीकार किया गया है कि उनकी निर्मिति मात्र व्यंग्यात्मक उक्ति वैचित्र्य के सहारे नहीं हुई है। गंगाधर गाडगिल की रचनाएँ एक साथ कई बातों का अहसास दिलाती हैं। उनकी रचनाएँ जीवन के विविध पहलुओं से सम्बद्ध होने का अनुभव भी कराती हैं। दरअसल विशिष्ट सामाजिक जीवन की सम्बद्धता और बौद्धिक विशिष्टता की सीमाओं को न माननेवाली गाडगिल जी की हास्य-प्रवृत्तियों ने घेरों को कभी नहीं माना। किर्लोस्कर-देवल की अभिजात हास्य-साहित्य की परम्परा के कायल गाडगिल ने हमेशा अभिजात, मूल्यपरक और स्वाभाविक हास्य को तरजीह दी और लक्ष्मीबाई तिलक के हास्य को अपना आदर्श माना है। इसका अभिप्राय यह नहीं है कि गाडगिल अभिजात हास्य-परम्परा की लकीर का अनुसरण करते हुए उसकी अगली कड़ी-भर रह गये। परम्परा की कतिपय प्रवृत्तियों और समानताओं के बावजूद गाडगिल जी के हास्य-व्यंग्य की अपनी अलग अस्मिता रही है। परम्परा को नये आयाम दिलाने के साथ गाडगिल उन नवीन प्रवृत्तियों को भी गढ़ते हैं जिनका संकेत तक परम्परा में नहीं है। प्रस्तुत है एक समर्थ हास्य-व्यंग्यकार की महत्त्वपूर्ण कृति का नया संस्करण। "
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9788126340019
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Bharatiya Jnanpith
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गंगाधर गाड्गिल (Gangadhar Gadgil)

"गंगाधर गाडगिल - पूरा नाम : गंगाधर गोपाल गाडगिल। जन्म: 25 अगस्त, 1923, मुम्बई में। अर्थशास्त्र में एम.ए. के बाद, मुम्बई में ही अर्थशास्त्र के प्राध्यापक (1946-64), प्राचार्य (1964-71 )। इसके बाद अनेक उद्योग समूहों के आर्थिक सलाहकार (1971-87)। साहित्य अकादेमी सहित कई संस्थाओं से सम्बद्ध रहे। पहली कहानी 1941 में मासिक पत्रिका 'वाङ्मय शोभा' में प्रकाशित। तब से निरन्तर लेखन कार्य में प्रवृत्त। अब तक पचास से अधिक पुस्तकें प्रकाशित; प्रमुखतः कहानी-संग्रह, उपन्यास, नाटक और व्यंग्य-लेख। अंग्रेज़ी में भी समान रूप से लेखन। अनेक रचनाएँ भारतीय एवं विदेशी भाषाओं में अनूदित। कथा-शिल्प और शैली की दृष्टि से मराठी की नयी कहानी के प्रवर्तक। प्रतिष्ठित उपन्यास 'दुर्दम्य' का हिन्दी अनुवाद भारतीय ज्ञानपीठ से प्रकाशित। "

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