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Vani Prakashan

चचा छक्कन के छक्के

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9789355183842
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"‘चचा छक्कन के छक्के’ संग्रह के लघु नाटकों में सच में हास्य-व्यंग्य के चौक्के छक्के लगते हैं। स्कूल में एडमिशन की समस्या नो एडमिशन हो या नर्सिंग होम में महँगे इलाज से बेहाल मरीज़ एक अनार, सौ बीमार, पुरुष द्वारा घर का काम करने की मशक्कत नौकर नहीं चाहिए या फिर हर तरह के कुँवारों की समस्या का जंजाल कुँवारा सम्मेलन, ये नाटक हँसाने के साथ-साथ किसी न किसी विसंगति की बखिया भी उधेड़ते हैं। शरीफ़ों की शान्ति असामाजिक तत्त्वों के सामने तथाकथित शरीफ़ों की बोलती बन्द रहने की जम कर ख़बर लेता है। और हुजूर दिल्ली दूर है कहीं घूमने के लिए जाते परिवार को वापस घर बैठा देने वाली पड़ोसियों की कारगुज़ारियों के हास्य से भरपूर है। चचा छक्कन के छक्के में उम्र पचपन की दिल बचपन का वाला मज़ेदार खेल है। ये लघु नाटक पढ़ने में रोचक और मंचन में मुस्कान लिए हैं।"
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9789355183842
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Vani Prakashan
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संजीव निगम (Sanjiv Nigam)

संजीव निगम

हिन्दी के चर्चित रचनाकार। कविता, कहानी, व्यंग्य लेख, नाटक आदि विधाओं में सक्रिय रूप से लेखन कर रहे हैं। कुल 5 किताबें प्रकाशित हैं : नहीं अब और नहीं, काव्यांचल, अँधेरों के खिलाफ, साढ़े तीन मिनट का भाषण तथा अंगुलिमाल की अहिंसा का नया फंडा। महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी से आचार्य रामचन्द्र शुक्ल पुरस्कार  प्राप्त। कई और अन्य सम्मान प्राप्त। कुछ टीवी धारावाहिकों का लेखन किया है। इसके अतिरिक्त 18 कॉर्पोरेट फिल्मों और एक फीचर फिल्म का लेखन भी। गीतों का एक एल्बम प्रेमरस नाम से जारी हुआ है। आकाशवाणी के विभिन्न केन्द्रों से 16 नाटकों का प्रसारण।

सम्पर्क : nigamsanjiv59@gmail.com

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