Publisher:
Bharatiya Jnanpith

चल ख़ुसरो घर आपने

In stock
Only %1 left
SKU
9789357756808
Rating:
0%
As low as ₹76.00 Regular Price ₹95.00
Save 20%

चल ख़ुसरो घर आपने -
प्रख्यात कथाकार मिथिलेश्वर की नवीनतम कहानियों का संग्रह है चल ख़ुसरो घर आपने।
इस संग्रह की कहानियों में आज का गाँव है-अपने सारे राग-विराग, सुख-दुःख के साथ। शहरी संस्कृति ने जिस तरह मानवीय संवेदनाओं को विकृत किया है उसका विद्रूप असर गाँव के सिवानों तक भी फैल चुका है। नतीजतन अपसंस्कृति और अजनबीपन ने नगरों की तरह ही गाँवों में भी रिश्तों की गरमाहट को कम किया है। दरअसल गाँवों-कस्बों के इस बदलते जीवन और परिवेश के यथार्थ को ही मिथिलेश्वर की ये कहानियाँ पूरी संवेदनशीलता के साथ बुनती और अभिव्यक्त करती हैं।
चल ख़ुसरो घर आपने की कहानियों में गँवई जीवन और मिट्टी की सुगन्ध के साथ ही वहाँ की संघर्षकामी चेतना और मानवीय जिजीविषा का जीवन्त उद्घोष भी है। इन कहानियों के माध्यम से मिथिलेश्वर ने आज के भारतीय गाँव को एक नयी भंगिमा से देखने की कोशिश की है।

ISBN
9789357756808
Publisher:
Bharatiya Jnanpith
More Information
Publication Bharatiya Jnanpith
मिथिलेश्वर (Mithileshwar)

"मिथिलेश्वर - जन्म : 31 दिसम्बर 1950, बिहार के भोजपुर ज़िले के बैसाडीह नामक गाँव में। शिक्षा : एम.ए., पीएच. डी. (हिन्दी)। लेखन : 1965 के छात्र-जीवन से ही प्रारम्भ। अब तक सौ से अधिक कहानियाँ, दो उपन्यास, दर्जनों समीक्षात्मक आलेख, संस्मरण, व्यंग्य, निबन्ध और टिप्पणियाँ प्रायः सभी स्तरीय एवं प्रसिद्ध पत्रिकाओं में प्रकाशित । अनेक कहानियाँ विभिन्न देशी तथा विदेशी भाषाओं में अनूदित । प्रकाशित पुस्तकें : कहानी-संग्रह - बाबूजी (1976), बन्द रास्तों के बीच (1978), दूसरा महाभारत (1979), मेघना का निर्णय (1980), तिरिया जनम (1982), हरिहर काका (1983), एक में अनेक (1987), एक थे प्रो. बी. लाल (1993)। उपन्यास-झुनिया (1980) और युद्ध स्थल (1981)। बालोपयोगी कथा-पुस्तक- उस रात की बात (1993) । सम्मान-पुरस्कार : बाबूजी कहानी-संग्रह के लिए म.प्र. साहित्य परिषद् द्वारा वर्ष 1976 के 'अखिल भारतीय मुक्तिबोध पुरस्कार', बन्द रास्तों के बीच कहानी-संग्रह के लिए सोवियत रूस द्वारा वर्ष 1979 के 'सोवियत लैण्ड नेहरू पुरस्कार', मेघना का निर्णय कहानी-संग्रह के लिए उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा वर्ष 1981-82 के 'यशपाल पुरस्कार' तथा निखिल भारत बंग साहित्य सम्मेलन द्वारा राज्य के सर्वोत्कृष्ट हिन्दी लेखन के लिए वर्ष 1983 के 'अमृत पुरस्कार' से पुरस्कृत एवं सम्मानित । सम्प्रति : प्राध्यापक, हिन्दी विभाग, एच.डी. जैन कॉलेज, आरा (बिहार) । सम्पर्क : महाराजा हाता कतिरा, आरा (बिहार) ।"

Write Your Own Review
You're reviewing:चल ख़ुसरो घर आपने
Your Rating
कॉपीराइट © 2025 वाणी प्रकाशन पुस्तकें। सर्वाधिकार सुरक्षित।

डिज़ाइन और विकास: Octagon Technologies LLP