राहत एक अरबी लफ़्ज है। इसका एक अर्थ आराम भी है, लेकिन राहत इन्दौरी ने इस आराम को बेआराम बनाकर अपनी शायरी की बुनियादें रखी हैं। उनके यहाँ ये बेआरामी जाती कम, कायनाती ज्यादा है। उनकी इस कायनात का रकबा काफी फैला हुआ है। इसमें मुल्की ग़म भी है और मुल्क के बाहर के सितम भी हैं। ऐसा नहीं है कि उनकी अपनी बातों से उनकी ग़ज़ल यहीं तक सीमित नहीं है। उनकी होशमंदी ने उन्हें जीते-जागते समाज का एक सदस्य बनाकर इस सीमित दायरे को फैलाया भी है और शायरी को अपने सामय का आईना भी बनाया है। इस आईने में जो परछाइयाँ चलती-फिरती नज़र आती हैं, वो ऐसा इतिहास रचती महसूस होती हैं, जो सामाजिक उतार-चढ़ाव में शरीक होकर आम लफ़्जों में ढली हैं। राहत इन्दौरी इतिहास को अपी ग़ज़लों के माध्यम से स्टेज पर अपनी ड्रामाई प्रस्तुति से सुनाते भी हैं और श्रोताओं को चौंकाते भी हैं।
उर्दू के विख्यात शायर डॉ. राहत इन्दौरी का जन्म इन्दौर में 1 जनवरी 1950 को हुआ था। उन्होंने इन्दौर विश्वविद्यालय में सोलह वर्षों तक उर्दू साहित्य पढ़ाया तथा उर्दू की त्रौमासिक पत्रिका ‘शाखें’ का दस वर्षों तक सम्पादन किया। अबतक उनके छह कविता संग्रह प्रकाशित और समादृत हो चुके हैं। उन्होंने पचास से अधिक लोकप्रिय हिन्दी फ़िल्मों एवं म्यूजिक एलबमों के लिए गीत-लेखन भी किया है। राहत इन्दौरी मुशायरों में भाग लेने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, इंग्लैंड, मॉरिशस, सऊदी अरब, पाकिस्तान, बांगलादेश, नेपाल आदि अनेक देशों की यात्रा कर चुके हैं तथा देश-विदेश के दर्जनों पुरस्कारों से सम्मानित हैं।